मर्चेंट नेवी में पदस्थ केप्टन धर्म पारवानी की रहस्यमय मौत, अफसरों ने पहले फ़ूड पॉइनिंग बताया फिर हार्ट अटेक - Web India Live

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मर्चेंट नेवी में पदस्थ केप्टन धर्म पारवानी की रहस्यमय मौत, अफसरों ने पहले फ़ूड पॉइनिंग बताया फिर हार्ट अटेक


- मैक्सिको से चीन जाते समय समुद्री जहाज में दम तोड़ा, एक सप्ताह बाद आएगा पार्थिव शरीर
संत हिरदाराम नगर। मर्चेंट नेवी के कार्गो शिपिंग में पदस्थ बैरागढ़ निवासी युवा केप्टन धर्म पारवानी की मौत से परिवार सहित पूरा बैरागढ़ सदमे में है। केप्टन की मौत कैसे हुई यह अभी तक रहस्य बना हुआ है। 38 वर्षीय धर्म कर्नल नारायण पारवानी के बड़े पुत्र हैं।
केप्टन धर्म कुछ दिन पहले ही समुद्री जहाज से चीन की ओर रवाना हुए था। बताया जाता है कि शिप मैक्सिको के रास्ते चीन जा रहा था। बीच रास्ते में ही धर्म की तबीयत बिगड़ गई। पिता कर्नल पारवानी के अनुसार दो दिन पहले उन्हें बताया गया कि धर्म को फूड पाइजनिंग हो गई है और उनका इलाज किया जा रहा है। बुधवार को दोपहर करीब 2 बजे परिवार को बताया गया कि धर्म की मौत हो गई है। मौत का कारण पहले फूड पाइजनिंग बाद में हार्ट अटैक बताया गया। मौत का वास्तविक कारण क्या है यह अभी रहस्य बना हुआ है।
केप्टन धर्म की मौत की खबर से पिता कर्नल नारायण पारवानी, मां पुष्पा गहरे सदमे में हैं। धर्म की पत्नी डालिमा पारवानी संत हिरदाराम कॉलेज में कंप्यूटर साइंस विभाग में एचओडी हैं। पति की मौत की खबर सुनकर वह अचेत हो गईं। पुत्र नव्य भी गहरे सदमे में हैं। धर्म का भाई दीपू भी सेना में इंजीनियर रह चुका है, वह अभी भोपाल से बाहर है। धर्म की मौत की खबर से बैरागढ़ में शोक की लहर छा गई है। करीब 15 दिन पहले ही धर्म बैरागढ़ में था। उसने पत्नी डालिमा के लिए सर्राफा बाजार से गोल्ड खरीदा था।
मैक्सिको की धरती पर आखिरी दिन
6 जनवरी 2019 को धर्म का 38वां जन्म दिन था। परिवार जन्म दिन की खुशियां मनाने की तैयारी कर रहा था, लेकिन शायद नियति को धर्म का लौट आना मंजूर नहीं था। अपने फेसबुक पेज पर धर्म ने अपनी लोकेशन शेयर करते हुए 13 दिसंबर को रात्रि 11.09 बजे लिखा था कि 23 दिवसीय चीनी समुद्र जलयात्रा में मंजनीलो मैक्सिको की भूमि पर आखिरी दिन। इस कमेंट के बाद धर्म ने शिप का रुख चीन की तरफ कर दिया था। नौसेना के अधिकारियों ने कर्नल पारवानी को बताया कि केप्टन धर्म का पार्थिव शरीर लगभग एक सप्ताह बाद ही बैरागढ़ आ सकेगा। देशभक्त पारवानी परिवार के लिए यह दोहरा दुख भी सहन करना पड़ रहा है।

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