प्रदेश के 4 हजार गांवों में नहीं मिल रहा ग्रामीणों को मनरेगा का काम

भोपाल/ मध्यप्रदेश के 4 हजार गांव ऐसे हैं जहां ग्रामीणों को मनरेगा के तहत काम ही नहीं दिया जा रहा है। मनरेगा की ऑनलाइन मॉनीटरिंग में इसका खुलासा होने के बाद पंचायत विभाग इन गांवों से जुड़े जिलों के अधिकारियों को तलब कर लिया है।
इसमें भी प्रदेश के धार, सिवनी, भिण्ड और उज्जैन जिले ऐसे हैं जो मनरेगा के तहत ग्रामीणों को रोजगार देने में सबसे ज्यादा पीछे हैं। इन जिलों में से प्रत्येक में यह स्थिति है कि यहां दो सौ से ज्यादा गांव ऐसे हैं जहां मनरेगा के तहत कोई काम ही नहीं कराया जा रहा है।
उधर मनरेगा के तहत ग्रामीण परिवार के प्रत्येक सदस्य को साल में कम से कम सौ दिन का रोजगार देना जरूरी है। लंबे समय से इन पंचायतों में मनरेगा के तहत काम नहीं होने पर जब पंचायत विभाग ने जानकारी तलब की तो भी जिलों से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
मजदूरी की जगह सिर्फ खरीदी पर जोर
मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में निर्माण सामग्री खरीदने और निर्माण कार्य कराने पर श्रमिकों को मजदूरी में पैसा देने का प्रावधान है। इसके लिए 40 प्रतिशत सामग्री खरीद पर और 60 प्रतिशत श्रमिकों को मजदूरी देने के लिए राशि रखने के आदेश है। लेकिन प्रदेश के धार, देवास, होशंगाबाद, गुना और सागर जिले ऐसे हैं
जहां मजदूरी देने की जगह सिर्फ पंचायतों द्वारा मनरेगा की राशि से सामग्री खरीद लने के प्रकरण सामने आए हैं। सरकार ने तय किया है कि जहां बेवजह की सामग्री खरीद ली गई है और उसका कोई उपयोग ही नहीं है, उसकी राशि की वसूली पंचायतों के सरपंचों और सचिवों से की जाएगी। प्रदेश में ऐसे कार्यों की संख्या लगभग 12 हजार है।
मांगने पर दस हजार को नहीं मिला रोजगार-
एक तरफ पंचायत विभाग के अफसर मनरेगा के तहत सामग्री खरीदने पर फोकस कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ श्रमिकों को मांगने पर भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है। 2018-19 के आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि मध्यप्रदेश में 10403 श्रमिक ऐसे थे जिन्हें मंागने पर भी पंचायतों द्वारा रोजगार नहीं दिया गया। इसके कारण सरकार को कार्य समय पर नहीं देने के कारण 63.72 लाख रुपए का मुआवजा भी देना पड़ा।
महज 9 फीसदी कार्य पूर्ण-
मनरेगा के तहत मध्यप्रदेश में मौजूदा वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल 348032 कार्य शुरू किए गए हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ 34364 कार्य ही पूर्ण हो पाए हैं। यानि की सिर्फ 9.87 फीसदी काम ही पूरे हो सके हैं। ऐसे में समय पर मनरेगा के काम पूरे नहीं होने पर केंद्र अपने हिस्से की राशि रोक सकता है। केंद्र सरकार अभी तक मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए मनरेगा के तहत 3690 करोड़ रुपए जारी कर चुकी है। इसमें राज्य ने लगभग 300 करोड़ रुपए की राशि अपने बजट से मिलाई है।
मनरेगा: मध्यप्रदेश फेक्ट फाइल
कुल श्रमिक- 1 करोड़ 58 लाख
सक्रिय जॉबकार्ड- 52 लाख
सक्रिय श्रमिक- 96 लाख
जेंडर बजट- 20 करोड़
वर्तमान वर्ष में कुल 12.52 करोड़ मानव दिवस सृजित किए जा चुके हैं।
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