अहमदपुर डिपो में जलाई जा रहीं लकडिय़ां और खर-पतवार

भोपाल. वन विभाग के अहमदपुर डिपो में स्टाफ हद दर्जे की लापरवाही बरत रहा है। अग्नि प्रतिबंधित क्षेत्र में वैसे तो बीड़ी-सिगरेट पीना भी मना है, लेकिन वन अमला ही जो आग जला रहा है, उसकी लपटें की फीट ऊंची उठती हैं। लकडिय़ों के अंबार और राजसात वाहनों के खड़े होने के कारण यहां आग लगाकर खरपतवार जलाना खतरनाक साबित हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि होशंगाबाद रोड पर बाग सेवनिया थाने से पहले वन विभाग का अहमदपुर डिपो बना हुआ है। इस डिपो में वर्षों से राजसात की हुई लकडिय़ों के अंबार लगे हैं। करोड़ों रुपए की कीमती लकड़ी यहां पर जमा है। इसके सिवा विभिन्न वन अपराधों में तमाम राजसात किए गए वाहन भी यहां खड़े किए गए हैं। वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) के निर्देशानुसार इस डिपो में धूम्रपान, बीड़ी, माचिस इत्यादि लाना तक सख्त मना है। वाहनों को भी सुरक्षित अवस्था में लाने के निर्देश हैं, जिससे के आग का खतरा न हो। डिपो में कोई भी ज्वलनशील पदार्थ भी लाने की सख्त मनाही है। डीएफओ के निर्देशों की धज्जियां वन स्टाफ ही उड़ा रहा है। यहां आग लगाकर खरपतवार, कचरा जलाया जा रहा है, जो खतरनाक साबित हो सकता है। इस डिपो में वर्षों पुरानी लकडिय़ों के लगे अंबार, बीड़ी पीने तक पर रोक है।
कचरा जलाया जाना गलत
पेड़ों की पत्तियां आदि खरपतवार और कचरा बायो डिग्रेडेबल होता है, जिसे जलाया नहीं जाना चाहिए। इसको नगर निगम अमले को देकर निस्तारित कराया जा सकता है अथवा किसानों को भी दिया जा सकता है, जिससे वे खाद बना सकें। इस तरह कचरा जलाना डिपो में अग्निकांड तो करवा ही सकता है, पर्यावरण के लिए भी बहुत नुकसानदेह है।
पतझड़ के मौसम में सफाई के लिए खरपतवार साफ किया जाता है। स्टाफ की उपस्थिति में ही सफाई कराई जाती है। वहां तो वैसे ही आग जलाना खतरनाक हो सकता है। मैं अभी मामले को दिखवाता हूं।
- हरिशंकर मिश्रा, डीएफओ
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