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पर्यावरण प्रबंधन में महिलाओं की अहम भूमिका


भोपाल। अपने आसपास के वन्य जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के बारे में स्थानीय लोगों को बहुत अच्छी, व्यापक और वैज्ञानिक जानकारी होती है। यह जानकारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी दर पहुंचती रहती है। प्राकृतिक जैव विविधता को जानने और समझने के लिए कट, कॉपी और पेस्ट से दूरी बनाना होगी। वन विहार नेशनल पार्क विभिन्न जीव-जंतुओं की गतिविधियों और व्यवहार को प्राकृतिक ढंग से समझने का सर्वश्रेष्ठ केंद्र है। पर्यावरण प्रबंधन में महिलाओं की अहम भूमिका है। यह बात वन विहार की निदेशक समीत राजौर ने विज्ञान भवन में 'विज्ञान, स्वास्थ्य व पर्यावरण प्रबंधन' में नवीन अनुसंधानों विषय पर आयोजित नेशनल सेमिनार में कही। वे मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुई थीं।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में बच्चों को अपने आसपास की वनस्पतियों और जीव-जंतुओं से परिचित कराने की आवश्यकता है। शिक्षाविद् और समन्वयक डॉ. प्रवीण तामोट ने इस अवसर पर संगोष्ठी की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए बताया कि हमने इस बार के आयोजन में पानी की प्लास्टिक बॉटलों और प्लास्टिक फोल्डर का उपयोग नहीं किया है। हम लोगों को अपने आचरण में यह कोशिष करनी चाहिए कि प्लास्टिक और पॉलिथीन थैलियों का हम कम से कम उपयोग करेंगे। वर्ष 2022 तक भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के महा अभियान में हर व्यक्ति के सहयोग की जरूरत है।
सोच बदलने से बचेगा पर्यावरण
विशेष अतिथि कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा के चेयरमैन डॉ. बीएस चौधरी ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों की सोच बदलने की जरूरत है। इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान का मुख्य विषय लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए लोग रखा गया था। इस थीम का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए शहरी लोगों को जीवन शैली में परिवर्तन करना होगा। आयोजन सचिव डॉ. एसएस अस्थाना ने कहा कि समाज को आगे बढ़ाने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को रोकने का प्रयास नहीें किया गया तो आने वाले समय में शहरों के आसपास जंगल नहीं दिखाई देंगे।


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