कांग्रेस 7 और भाजपा 8 सीटों पर घोषित नहीं कर पायी उम्मीदवार, चुनाव होने में कुछ दिन शेष - Web India Live

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कांग्रेस 7 और भाजपा 8 सीटों पर घोषित नहीं कर पायी उम्मीदवार, चुनाव होने में कुछ दिन शेष

जितेंद्र चौरसिया, भोपाल. लोकसभा चुनाव में टिकटों की देरी ने दावेदारों और प्रत्याशियों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। कांग्रेस सात और भाजपा आठ सीटों पर अभी तक चेहरे घोषित नहीं पाई है। ऐसे में यहां के प्रत्याशियों के पास पूरे लोकसभा क्षेत्र को नापने का समय नहीं बचेगा। दिनों की इस दौड़ में पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार थमने तक 17 और दूसरे चरण में 24 दिन बाकी हैं, जबकि प्रदेश में करीब 10 लोकसभा क्षेत्र बेहद बड़े हैं।

ऐसे समझें : किसके पास कितना समय

मध्यप्रदेश में पहले चरण की वोटिंग छह सीटों पर 29 अप्रैल को है। दोनों दल इन सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुके हैं। छिंदवाड़ा में कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ हेलिकॉप्टर से क्षेत्र कवर कर रहे हैं। उनके सामने भाजपा के नत्थन शाह कवरेती सबसे देरी से उतरे। प्रचार थमने तक महज 17 दिन बचे हैं। यह इलाका 11815 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है।

दूसरे चरण में सात सीटों पर छह मई को वोटिंग है। कांग्रेस सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। भाजपा से खजुराहो का टिकट बाकी है। प्रचार थमने 24 दिन बचे हैं और यह लोकसभा क्षेत्र आठ हजार वर्ग किमी में फैला है। खजुराहो से कांग्रेस प्रत्याशी कविता सिंह हैं। कविता विधायक विक्रम सिंह नातीराजा की पत्नी हैं

तीसरे चरण की वोटिंग आठ सीटों पर 12 मई को है। कांग्रेस ने चार सीट भिंड, ग्वालियर, गुना व राजगढ़ और भाजपा ने पांच सीट भोपाल, विदिशा, गुना व सागर के टिकट घोषित नहीं किए हैं। चुनाव प्रचार 10 मई को थमेगा, इसलिए सिर्फ 30 दिन बचे हैं। इनमें ज्यादातर लोकसभा क्षेत्र सात हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल से बड़े हैं।

चौथे चरण की वोटिंग आठ सीटों पर 19 मई को होना है। कांग्रेस ने धार व इंदौर और भाजपा ने इंदौर, देवास व रतलाम का टिकट घोषित नहीं किया है। इस चरण में सबसे ज्यादा 41 दिन बाकी है। इन सीटों में इंदौर का क्षेत्रफल बड़ा है। यही दोनों ओर दावेदारों में खींचतान ज्यादा है।

चुनाव प्रचार व प्रबंधन के लिए प्रत्याशियों को पर्याप्त समय मिल जाता है। हम अधिकतर सीटों पर टिकट घोषित कर चुके हैं। जो टिकट बचे हैं, वो भी जल्द घोषित हो जाएंगे।
राकेश सिंह, अध्यक्ष प्रदेश भाजपा

पहले चरण के सारे टिकट घोषित हो चुके हैं। केवल कुछ टिकट बचे हैं, जो जल्द घोषित हो जाएंगे। टिकट तय करने में कई मापदंड देखने होते हैं उसमें कुछ समय लगता है।
चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस

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किस सीट पर कौनसा गणित

कांग्रेस

गुना, ग्वालियर, इंदौर, विदिशा, धार, भिंड व राजगढ़ के टिकट बाकी हैं। इनमें गुना-ग्वालियर व भिंड सीट गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण अटकी है। सिंधिया गुना व ग्वालियर को लेकर उलझन में हैं। सिंधिया भिंड से भाजपा के पूर्व सांसद अशोक अर्गल को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन दिग्विजय सिंह ने बसपा नेता देवाशीष का नाम आगे बढ़ा दिया। इंदौर में पंकज संघवी के साथ वैश्य समाज के अरविंद बागड़ी का नाम चल रहा है, लेकिन पार्टी भाजपा के चेहरे का इंतजार कर रही है।

राजगढ़ से दिग्विजय ने मोना सुस्तानी का नाम दिया है। हालांकि उनके परिवार के अन्य सदस्य पुरुषोत्तम दांगी या नारायण आमलावे को लड़ाना चाहते हैं। विदिशा में राजकुमार पटेल का नाम है, लेकिन 2009 में फार्म बी समय पर न भर पाने के कारण अब अंतिम निर्णय राहुल गांधी ही करेंगे।

भाजपा

इंदौर, सागर, खजुराहो, भोपाल, देवास, रतलाम, गुना व विदिशा के टिकट बाकी है। इंदौर में सुमित्रा महाजन के चुनाव न लडऩे के ऐलान के बाद नया चेहरा तय होना है। इंदौर महापौर मालिनी गौड़ का नाम प्रमुख बताया जा रहा है। ताई की सहमति वाले चेहरे को ही भाजपा टिकट देगी। भोपाल में दिग्विजय के सामने चेहरा तय नहीं हो पा रहा।

इस सीट पर हिन्दुत्व के नाम पर प्रज्ञा ठाकुर को उतारे जाने की खासी चर्चा है। इधर, गुना सीट को सिंधिया के चक्कर में होल्ड किया है। उनका नाम तय होने के बाद ही भाजपा अपने पत्ते खोलेगी। विदिशा में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह का नाम चर्चा में आने के बाद से समीकरण उलझे हुए हैं। जबकि, रतलाम में निर्मला भूरिया का नाम दावेदारी में हैं।

नफे-नुकसान का अपना गणित

दोनों पार्टियां चेहरा घोषित नहीं करने के पीछे अपना-अपना गणित लगा रही हैं। चुनिंदा सीटों पर वेट-एंड-वॉच की रणनीति से देरी हो रही है। वहीं, भोपाल में दिग्विजय सिंह के सामने भाजपा चेहरा नहीं तय कर पाई है।

दिग्विजय को क्षेत्र कवर करने का ज्यादा मौका मिल रहा है। दूसरी ओर भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि चेहरे में देरी से दिग्विजय को सही रणनीति बनाने का मौका नहीं मिलेगा। इसी तरह इंदौर, विदिशा, ग्वालियर-गुना सीटों पर भी ऐसे ही समीकरण व रणनीतिक दांव-पेंच हैं।



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