मंगलगीतों के गायन से चल पड़ा संगीत का सफर

भोपाल. रचना नगर निवासी साधना व्यास विगत कई वर्षों से भक्ति साधना संगीत, माता की चौकी, लेडीज संगीत, देवी जागरण, राधाकृष्ण भजन, आर्केस्ट्रा, साईं भजन, सुंदरकांड पाठ, अखंड पाठ, रामायण पाठ आदि धार्मिक आयोजनों को वर्षों से विधि-विधानपूर्वक संपन्न करवाती आ रही हैं। साधना बताती हैं कि संगीत के क्षेत्र में आने का मुख्य उद्देश्य लोक संगीत को पुनर्जीवित करना था। वे बुंदलेखंड के टीकमगढ़ जिले की रहने वाली हैं और राजस्थान में शादी हुई। उनकी ससुराल में भी लोक संगीत पर बहुत ध्यान दिया जाता था।
शादियों में मंगलगीतों के गायन से धीरे-धीरे गीत-संगीत का यह सिलसिला चला। उन्हें इस क्षेत्र में करीब 25 वर्ष हो गए हैं। उनके साथ 55 लोग जुड़े हैं, जिनमें 25-30 महिलाएं हैं। लगभग दस लड़कियों को वे इस समय शिक्षा और संगीत में मदद कर रही हैं। पढ़ाई के साथ-साथ म्यूजिक भी सिखा रही हैं। दस वर्षों से 100 से अधिक लड़कियों को उन्होंने तैयार किया है। अतिथि शिक्षक के रूप में पिछले दस वर्षों हिंदी, संस्कृत, सोशल साइंसपढ़ा रहीं साधना ने खेरागढ़ यूनिवर्सिटी से म्यूजिक में स्नातक की डिग्री ली है।
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