बिल्डर की धोखाधड़ी के शिकार 23 लोगों को उपभोक्ता फोरम ने दिलाए 1.80 करोड़ रुपए - Web India Live

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बिल्डर की धोखाधड़ी के शिकार 23 लोगों को उपभोक्ता फोरम ने दिलाए 1.80 करोड़ रुपए

भोपाल/ लुभावने विज्ञापन को देखकर अमूमन कई लोग उसके झांसे में आ जाते हैं, लेकिन हकीकत तब पता चलती है जब विज्ञापन में दावा की गई चीज असल में नहीं मिलती है। ऐसे ही एक मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने बिल्डर द्वारा धोखाधड़ी के शिकार 23 उपभोक्ताओं को करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपए बतौर हर्जाना देने को कहा है।

वहीं धोखाधड़ी करने वाला बिल्डर वर्तमान में अपराध क्रमांक 376/16 के तहत महू स्थित जेल में बंद है, इसलिए फोरम ने आदेश की प्रति जेल में ही भिजवाई है। इस मामले में सुनवाई जिला उपभोक्ता फोरम की बेंच-1 के अध्यक्ष आरके भावे व सदस्य सुनील श्रीवास्तव की बेंच ने की।

2 महीने में या तो भूखंड दें, या 18 फीसदी ब्याज के साथ पैसे लौटाएं

बेंच ने अपने आदेश देते हुए कहा है कि 2 महीने के अंदर बिल्डर सभी 23 आवेदकों को आवंटित भूखंड का आधिपत्य और रजिस्ट्री के कागजात उपलब्ध कराए। वहीं भूखंड उपलब्ध ना कराने की स्थिति में प्रत्येक आवेदक को उसके द्वारा चुकाई गई राशि व बुकिंग दिनांक से भुगतान दिनांक तक 18 फीसदी की दर से ब्याज चुकाने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद-व्यय के तौर पर प्रत्येक उपभोक्ता को 12-12 हजार रुपए भी चुकाने के आदेश दिए हैं। कुल मूल राशि करीब 84 लाख रुपए है, वहीं बिल्डर को इस राशि पर 6 साल का ब्याज भी चुकाना पड़ेगा।

वर्ष 2013 में विज्ञापन बा्रॅशर देख 23 लोगों ने खरीदे थे भूखंड

कल्याण सिंह राजपूत समेत 23 लोगों ने सितम्बर 2017 में जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर कर बताया कि ग्रीनलैंड शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक अरविंद बंजारी द्वारा हुजुर तहसील अंतर्गत बालमपुर गांव में कृषि भूमि को विकसित कर प्लॉटिंग की जा रही थी। वर्ष 2013 में कल्याण ने जब इसका ब्रोशर देखा तो जमीन खरीदने के लिए बिल्डर के एमपी नगर स्थित ऑफिस में संपर्क किया। 800 वर्गफीट के प्लॉट के लिए 2 लाख 75 हजार 500 रुपए जमा किए।

लेकिन पैसा लेने के बाद बिल्डर एग्रीमेंट और रजिस्ट्री कराने के नाम पर टालमटोल करता रहा। वर्ष 2016 में कल्याण ने सीएम हेल्पलाइन, कलेक्टर और एसपी की जनसुनवाई में इस धोखाधड़ी की शिकायत की गई। जिसमें बताया गया कि पैसे लेने के बाद बिल्डर न तो भूखंड दे रहा है और ना ही पैसे वापस कर रहा है। चूंकि दस्तावेजों के मुताबिक परिवादी और विपक्षी के बीच उपभोक्ता और व्यवसायी का संबंध स्थापित है लिहाजा यह मामला सेवा में कमी के अंतर्गत आता है। इस मामले को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा- 12 के तहत के फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

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