स्मार्ट पार्किंग का सच : 3 साल में साढ़े 3 करोड़ रुपए, निगम के खाते में महज 33 लाख आए
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भोपाल/ स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था में वाहन चालकों को न तय सुविधाएं मिल पा रही है और न ही नगर निगम को आमदनी हो रही है। स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था संचालित करने वाली माइंडटेक कंपनी के साथ निगम अफसरों ने बैठक ली तो पता चला, बीते तीन साल में महज 24 पार्किंग ही विकसित हो पाई। कंपनी पर निगम ने करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए बकाया निकाला, लेकिन निगम के खाते में कंपनी ने 33 लाख रुपए ही जमा किए।
इस समय एक भी पार्किंग पूरी तरह से स्मार्ट नहीं हो पाई। जमीनी स्थिति देखकर ठेका एजेंसी माइंडटेक ने भी सिर्फ कमाई वाले क्षेत्रों में ही सिमटने की निर्णय लिया। ऐसे में शहर में नए पार्किंग स्थलों का विकसित होना पूरी तरह से बंद हो गया है। अवैध पार्किंग स्थल विकसित हो गए, जिससे निगम को बिल्कुल लाभ नहीं हो रहा।
गौरतलब है कि निगम ने माइंडटेक कंपनी के साथ जून 2017 में अनुबंध किया था। इसके दो से तीन माह बाद स्मार्ट पार्किंग की सुविधा देना शुरू कर दिया था। शुरुआत में एमपी नगर और दस नंबर में पार्किंग विकसित की गई। लाभ वाले क्षेत्रों में पार्किंग विकसित करने के बाद माइंडटेक ने निगम को राशि देना भी बंद कर दिया। अब स्थिति ये हैं कि शहर में करीब 80 जगहों पर पार्किंग की वसूली हो रही है और निगम के खाते में एक ढेला तक नहीं जा रहा।
इस दावे के साथ जरूरी की थी स्मार्ट पार्किंग
भोपाल विस्तार कर रहा है। शहर में बढ़ती आबादी से ट्रैफिक में वृद्धि हो रही। पार्किँग बड़ी समस्या बन रही। ऐसे में उन जगहों पर पार्किंग की जगह आवंटित की जाएगी जहां बहुत सारे लोग हैं। दावा ये भी कि स्मार्ट पार्किंग में स्पष्ट और सरल दिशा के साथ पार्किंग की जगह ढूँढना, ऑनलाइन व मोबाइल एप से पार्किंग स्लॉट की उपलब्धता, पार्किंग उल्लंघन का पता लगाने, वास्तविक समय की जानकारी, स्मार्ट मीटर, भुगतान में आसानी, कम पार्किंग खोज समय कार्बन उत्सर्जन को कम करना, मांग के आधार पर टैरिफ जैसे दावे थे।
पूरी विकसित होती तो हर माह 25 लाख मिलते
माइंडटेक कंपनी दि ईमानदारी से पार्किंग विकसित करती तो निगम के खाते में प्रतिमाह 25 लाख रुपए की राशि मिलती। पार्किंग विकसित होने और उनका संचालन शुरू होने से निगम को भुगतान शुरू होता है। तब पार्किंग ही विकसित नहीं तो फिर भुगतान का सवाल ही नहीं है।
इसलिए नहीं दे रही सुविधा व पैसा
माइंडटेक कंपनी ने निगम से पार्किंग विकसित करने किए गए खर्च की मांग की है। कंपनी का कहना है कि वह खर्च कर रही है, इसलिए निगम को तय अनुबंध के अनुसार प्रतिमाह राशि नहीं दे सकते। निगम विकसित की गई पार्किंग और उनके संचालन के समय के आधार पर पार्किंग की राशि निकाल रहा है। यही वजह है कि पार्किंग में न सुविधा मिल रही, न निगम को पैसा।
राशि की वसूली और बाकी पार्किंग स्थल विकसित करने कंपनी से चर्चा चल रही है। जो भी निर्णय होगा बता दिया जाएगा। पार्किंग की व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए काम कर रहे हैं। जो सहयोग नहीं देंगे, उन पर कानूनी तरीकों से कार्रवाई की जाएगी। - कमल सोलंकी, अपर आयुक्त नगर निगम
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