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भोपाल टोल पर रोजाना 7 लाख की वसूली, बताए सिर्फ 2 लाख


राजधानी में बायपास सड़क बनाकर टोल चलाने वाली ट्रांसट्राय भोपाल बायपास टोलवेज लिमिटेड 2015 में ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स से डिफाल्टर हो चुकी है, लेकिन मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के अधिकारी इस तथ्य को शिवराज सरकार में 2018 तक छिपाते रहे।
डिफाल्टर होने के बावजूद यह कंपनी बायपास पर अब तक टोल टैक्स वसूली कर रही है।
बारिश में सड़क पूरी खराब हो चुकी है।
इसकी शिकायत मिलने पर राज्य सरकार ने कंपनी को सड़क दोबारा बनाने के लिए कहा तो उसने टोल में घाटा दिखाते हुए सड़क बनाने से इनकार कर दिया।
अब सरकार ट्रांसट्राय कंपनी के टोल ठेके को निरस्त कर 20 करोड़ रुपए खर्च कर सड़क बनाने जा रही है।
ठेका निरस्त होने पर कंपनी का 221 करोड़ रुपए के कर्ज चुकाने का भार सरकार पर आ जाएगा।
इधर, टोल पर घाटा दिखाकर करोड़ों का नुकसान पहुंचाने के मामले में कंपनी पर अपराधिक मामला दर्ज करने की तैयारी है।
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ट्रांसट्राय कंपनी 2013 से टोल वसूली के एवज में सरकारी गारंटी खाते में औसतन 23 करोड़ रुपए सालाना देती रही, लेकिन 2015 से यह राशि आधी कर दी।
वर्ष 2018 में इस कंपनी ने मात्र 2 करोड़ रुपए जमा कराए।
पिछले तीन साल में कंपनी ने टोल घाटा बताते हुए 73 करोड़ रुपए कम जमा कराए हैं।
इसकी सत्यता जानने के लिए सरकार ने टोल पर ट्रैफिक लोड का सर्वे कराया तो कंपनी के दो लाख रोजाना वसूली का दावा झूठा पाया गया।
हकीकत में 7 लाख रुपए रोजाना टोल वसूली हो रही थी।
इस कंपनी ने इलेक्ट्रोनिक डेटा इंटरचेंज वाला सॉफ्टवेयर भी नहीं लगाया।
इससे सरकार को टोल पर होने वाली वसूली की लाइव रिपोर्ट मिलती है।
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ट्रांसट्राय ने 2007 में बीओटी आधार पर 52 किमी सड़क बनाने के लिए ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स से 200 करोड़ का कर्ज लिया था।
शुरुआती एक-दो साल में कंपनी ने बैंक और एमपीआरडीसी को समय पर पैसा दिया।
एमपीआरडीसी और बैंक के अफसरों से मिली भगत के बाद कंपनी ने धीरे-धीरे राशि देना बंद कर दी।
एमपीआरडीसी के अफसरों का कहना है कि ट्रांसट्राय भोपाल बायपास टोलवेज लिमिटेड को ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने 2015 में एनपीए घोषित कर दिया, लेकिन इसकी जानकारी साढ़े तीन साल बाद दी गई। उधर बैंक का दावा है कि कंपनी के एनपीए होने के बाद 2016 की बैठक में यह जानकारी एमपीआरडीसी को दे दी गई थी।
सरकार को नहीं मिला 140 करोड़ का प्रीमियम
ट्रांसट्र्राय कंपनी ने सरकार को 140.35 करोड़ का प्रीमियम जमा नहीं कराया। यह प्रीमियम राशि सात साल से ड्यू है।
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अफसर देते रहे फर्जी रिपोर्ट
बीओटी मॉडल में बनाई सड़कों की मरम्मत टोल कंपनी को हर साल कराना अनिवार्य है।
इसकी रिपोर्ट एमपीआरडीसी के अधिकारी हर साल तैयार करते हैं।
भोपाल बायपास दो साल से खराब हालत में है, लेकिन अधिकारी इसे रिकॉर्ड में बेहतर बताते रहे।
इनकी सुनें
हम एमपीआरडीसी के संबंधित अधिकारियों को कंपनी के पैसा न जमा करने की जानकारी देते रहे हैं, लेकिन उनकी ओर से ध्यान नहीं दिया गया।
कंपनी के एनपीए होने की जानकारी 2016 में दे दी गई थी। आखिरी बार हमने 2018 में भी जानकारी दी थी।
विवेक मित्तल, डीजीएम ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
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ट्रांसट्राय भोपाल बायपास टोलवेज लिमिटेड का ठेका निरस्त करने का प्रस्ताव संचालक मंडल की बैठक में रखा जा रहा है।
कंपनी ने पिछले तीन सालों में गलत जानकारी देकर 73 करोड़ रुपए कम जमा कराए हैं।
सुदाम खाड़े, एएमडी, एमपीआरडीसी


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