शरद पवार की बेटी को मिल रही बधाई, क्या अजीत का BJP को समर्थन देना सुप्रिया के लिए फायदेमंद?

भोपाल. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र में जारी सियासी घटनाक्रम पर एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट के बाद सियासी गलियों में एक नई चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे तो दिग्विजय सिंह, हम मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं लेकिन इस बार उन्होंने जो ट्वीट किया है उससे महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई बहस छिड़ सकती है। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर राकांपा प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को बधाई दी है।
क्या कहा दिग्विजय सिंह ने
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रविवार को ट्वीट किया है। एनसीपी के 54 में से 53 विधायक शरद पवार जी के साथ रहेंगे। अजीत पवार अकेले रह जाएंगे। शरद पवार के उत्तराधिकारी की समस्या भी हल हो गयी। बधाई सुप्रिया!!
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[MORE_ADVERTISE2]NCP के ५४ में से ५३ शरद पवार जी के साथ रहेंगे। अजीत पवार अकेले रह जायेंगे। शरद पवार के उत्तराधिकारी की समस्या भी हल हो गयी। बधाई सुप्रिया!!— Digvijaya Singh (@digvijaya_28) November 24, 2019
सुप्रिया को फायदा क्यों?
शरद पवार राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सुप्रिया सुले के राजनीति में आने से पहले ऐसी चर्चाएं थी कि शरद पवार के बाद अजीत पवार ही पार्टी का नेतृत्व करेंगे। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनावों में शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को बारामती सीट से लोकसभा का टिकट दिया। सुप्रिया सुले पहली बार सांसद बनीं और 2009 से लगातार चुनाव जीत रही हैं। जानकारों का कहना है कि सुप्रिया सुले के राजनीति में आने के बाद से अजित पवार खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे थे। हालांकि ये अटकलों का दौर था। सुप्रिया सुले इस समय बारामती से तीसरी बार सांसद बनीं है।
शनिवार को शरद पवार ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा , अजीत पवार का निर्णय पार्टी का निर्णय नहीं है। बल्कि वो वउनका निजी फैसला है। इसके बाद शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी अपने सोशल मीडिया स्टेट्स में लिखा पार्टी और परिवार टूट गया। अब माना जा रहा है कि शरद पवार के बाद उनकी राजनीति विरासत की जिम्मेदारी अजीत पवार की जगह उनकी बेटी सुप्रिया सुले को मिलेगी।
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दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा- महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर मोहन भागवत जी की कोई टिप्पणी नहीं आई। देश उनसे जानना चाहता है कि जिन अजीत पवार को देवेन्द्र फडनविस जी ने जेल भेजने का जनता से वादा किया था अब उन्हें उप मुख्य मंत्री बनाया, क्या यह अनैतिक नहीं है? क्या इसी रास्ते से संघ राष्ट्र निर्माण करना चाहता है?
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