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राज्यपाल बोले, स्वास्थ्य का अधिकार का प्रयास अच्छा है, इसका सफल क्रियान्वयन भी जरूरी

भोपाल। राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा है कि स्वास्थ्य का अधिकार एक क्रांतिकारी पहल है। इसके सफल क्रियान्वयन के लिए जरूरी है कि यथार्थवादी दृष्टिकोंण के साथ प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि समाज के यथार्थ को पहचान कर नई सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। टंडन ने हेल्थ कॉन्क्लेव के समापन सत्र में यह बात कही। इस मौके पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट ने राज्यपाल को संकल्प उद्घोषणा पत्र भेंट किया।

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राज्यपाल ने कहा कि शिक्षित एवं स्वस्थ व्यक्ति समाज का आधार होते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में बढ़ते बाजारवाद के कारण समाज में धनार्जन की अंधी दौड़ शुरू हो गई है, इसे रोकना होगा। आयुष्मान भारत योजना में गरीब व्यक्ति को 5 लाख रूपए तक के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था की गई है। जन-औषधालयों के माध्यम से प्रभावी दवाएँ सस्ती कीमत पर मिल रही हैं। आगामी 5 वर्षों में चिकित्सकों की कमी भी दूर हो जाएगी। आवश्यकता इस बात की है कि अन्त्योदय तक इन लाभों को पहुँचाने के लिए पूरा समाज सेवाभावी स्वरूप में काम करे।

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राज्यपाल ने पुरातन भारतीय चिकित्सा पद्धति का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतवर्ष में वैद्यों के आदर्श और मान्यताएं इतनी ऊँची थीं कि यदि बिना उपचार के उनके द्वार से कोई गरीब लौट जाता था, तो वह स्वयं को ईश्वरीय दंड का भागी मानते थे। उनकी मान्यता थी कि ऐसा होने पर उनका समस्त ज्ञान नष्ट हो जायेगा। उपचार विधि भी लागत आधारित थी। चूर्ण, लेप आदि से आमजन का नि:शुल्क और समृद्ध वर्ग का रस भस्म से मूल्य प्राप्त कर उपचार किया जाता था। राज्यपाल ने कहा कि संस्कृति की इस विरासत को स्वास्थ्य के अधिकार के लिए प्रसारित करना होगा।

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इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि मध्यप्रदेश, देश में स्वास्थ्य के अधिकार को मान्यता देने वाला पहला राज्य बनेगा। प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये तेजी से प्रयास किए गए हैं। चिकित्सकों, पीजी तथा नॉन पीजी मेडिकल ऑफिसर्स, सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी और नर्सिंग स्टॉफ के रिक्त पदों की पूर्ति की गई है। शेष पदों की भर्ती की प्रक्रिया तेजी से प्रचलित है। उन्होंने बताया कि लोक सेवा आयोग से एक हजार से अधिक पदों की भर्ती की जा रही है। करीब 550 चिकित्सकों की उपलब्धता हो गयी है।

इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, विधि-विधायी कार्य मंत्री पी.सी. शर्मा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल, नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह, मानव अधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस नरेन्द्र कुमार जैन, रामकृष्ण मिशन के स्वामी वरिष्ठानंद सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।



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