सरकार को सताई घाटे की चिंता, वसूली के लक्ष्य पिछड़े, बजट प्रबंधन पर रिपोर्ट तलब
भोपाल। कमलनाथ सरकार को पहले ही साल अब वित्तीय घाटे की चिंता सताने लगी है। दरअसल, सरकार को पिछली भाजपा सरकार से खाली खजाना मिला, जिसके चलते पूरे समय तंगहाली के हालात रहे। अब मार्च में सरकार का पहला वित्तीय सत्र पूरा होगा, लेकिन इस दौरान नोटबंदी व जीएसटी के असर के साथ केंद्र के बजट कम करने और वसूली में आई कमी के कारण वित्तीय हालात और खराब हो गए हैं।
इस बार सरकार के सामने तय वसूली लक्ष्यों से बेहद पीछे रहने के हालात बन गए हैं, जिसके चलते सरकार ने पूरे आर्थिक प्रबंधन पर वापस मशक्कत शुरू कर दी है। फिलहाल सभी विभागों से उनके राज्य और जिलों में रखे बजट की पूरी रिपोर्ट तलब कर ली गई है, ताकि सरकार को पता चल सके कि उपलब्ध पैसे की स्थिति क्या है। इसके अलावा सरकार में राजस्व वसूली लक्ष्यों पर भी रिव्यु शुरू कर दिया गया है, ताकि अंतिम तिमाही में वसूली बढ़ाकर तय लक्ष्यों को पाया जा सके।
राज्य सरकार हर साल राजस्व वसूली का लक्ष्य तय करके काम करती है, ताकि खर्च और आमदनी का संतुलन बना रहे। इस बार इसमें भारी कमी के आसार हो गए हैं। राज्य सरकार को इस वित्तीय वर्ष में करीब ३० से ३५ हजार करोड़ लक्ष्य से पीछे चल रहे हैं। इसमें विभिन्न प्रकार की वसूली से मिलने वाली राशि शामिल हैं। एेसे में सरकार के स्तर पर चिंता शुरू हो गई है कि किस प्रकार आर्थिक प्रबंधन को संभाला जाए।
दरअसल, सरकार के सामने अब महज एक ही तिमाही मौजूदा वित्तीय सत्र की बची है। अभी तक तीन तिमाही में प्रॉपटी सहित अन्य सेक्टर से होने वाली राजस्व आय तय लक्ष्यों के हिसाब से नहीं है। इस कारण जनवरी से मार्च की आखिरी तिमाही में सरकार अपनी वित्तीय हालत सुधारने में पूरी ताकत लगाना चाहती है। इसके लिए सभी जिलों में भी मितव्ययता के अलावा कटौती के हालात बनेंगे।
विभागों को लिखा, पैसे की पूरी रिपोर्ट दो-
वित्त विभाग ने सभी विभागों से एेसी राशि की रिपोर्ट मांगी है, जो नियमित आहरण करके बैंक खातों में जमा करके रोककर रखी गई है। इससे राजकोषीय घाटे पर असर होने की आंशका जताकर रिपोर्ट मांगी गई है। इसके अलावा सभी विभागों से यह भी पूछा गया है कि बजट के मदों में कितनी राशि अनुपयोगी पड़ी है। इस पर सभी से रिपोर्ट दिसंबर तक बुलाई गई है।
केंद्र के बजट घटाने का भी असर-
केंद्र सरकार ने अपने मुख्य बजट में मप्र के करीब २७०० करोड़ रुपए कम कर दिए थे, जिसका असर भी राज्य पर पड़ा है। मप्र को पहले केंद्र से ६३ हजार ७०० करोड़ से ज्यादा राशि मिलना थी, जो घटकर करीब ६१ हजार करोड़ पर सिमट गई थी। इस समायोजित करने में भी मप्र को परेशानी आई है, जिससे आमदनी के लक्ष्यों पर असर पड़ा है।
निर्माण कामों व नए कामों से परहेज-
सरकार ने पिछले एक साल से नए निर्माण कामों और नए प्रोजेक्ट से परहेज कर रखा है। लेकिन, अब वित्तीय स्थिति न संभलने के कारण आगे भी इसमें पुराने कामों को ही पूरा करने पर फोकस रहेगा। सरकार की नया आकलन भी यही बता रहा है कि अभी नए प्रोजेक्ट नहीं ला सकते। इसका असर आगामी मुख्य बजट पर भी पड़ेगा। इसमें केवल कांग्रेस के पूर्व निर्धारित वचनों को ही रखा जाएगा।
अनुपूरक बजट में भी खींचतान-
सरकार को अनुपूरक बजट के लिए भी भारी खींचतान से गुजरना पड़ रहा है। बारिश के कहर से १७ हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। केंद्र से राज्य सरकार ने ६७०० करोड़ मांगे हैं, लेकिन कोई राशि नहीं मिली है। अब अनुपूरक बजट में फसलों के नुकसान के मुआवजे, सड़क मरम्मत और अन्य अधोसंरचना से संबंधित कामों के लिए पैसा रखने को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके चलते विभिन्न विभागों की अन्य मांगों को वित्त विभाग ने खारिज करनाा शुरू कर दिया है। यह कमलनाथ सरकार का पहला अनुपूरक बजट होगा, जो १७ दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में लाया जाएगा।
इनका कहना- पिछली भाजपा सरकार ने चुनाव के समय सरकारी खजाने का दुरूपयोग किया। इसके बाद खराब हालत में सरकारी खजाना भाजपा हमें देकर गई है। बारिश से फसलें तबाह हुई, लेकिन यहां भी केंद्र से राहत राशि नहीं मिली। लेकिन, हमने बिना कोई नया टैक्स लगाए सारे वित्तीय प्रबंधन को संभाला है। प्रदेश के हालत लगातार सुधर रही है और चिंता की स्थिति नहीं है। - तरुण भनोत, वित्तमंत्री, मप्र
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