दिग्विजय बोले- बदल रही है शिवसेना की विचारधारा, गवर्नर की प्रकिया सही, मोदी-शाह कारण लगा राष्ट्रपति शासन
भोपाल/लखनऊ. महाराष्ट्र में जारी सियासी धटनाक्रम पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने केन्द्र सरकार पर हमला बोला है। मंगलवार को राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे थे। यहां उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा- महाराष्ट्र के राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के दवाब में आकर राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। वहीं, उन्होंने शिवसेना को लेकर भी बड़ा बयान दिया है।
[MORE_ADVERTISE1] [MORE_ADVERTISE2]राज्यपाल ने अपनाई थी सही प्रक्रिया
दिग्विजय सिंह ने कहा- महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सरकार के गठन के लिए सही प्रक्रिया अपनाई थी। उन्होंने परिणाम आने के बाद पहले इंतजार किया फिर उन्होंने प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। उसके बाद उन्होंने प्रदेश की दूसरी और फिर तीसरी बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन जब राज्यपाल ने राकांपा को मंगलवार रात 8.30 बजे तक का वक्त दिया है तो फिर उन्होंने समय पूरा होने से पहले ही राष्टपति शासन की सिफारिश क्यों कर दी। निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री और अमित शाह के दबाव के कारण उन्होंने यह फैसला लिया है और कांग्रेस को इस फैसले पर आपत्ति है। हालांकि पार्टियों को कितना समय देना है और कितना नहीं इस मामले में दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है कि वह किस दल का कितना समय देते हैं।
शिवसेना बदल रही है
वहीं, जब दिग्विजय सिंह से पूछा गया कि शिवसेना की विचारधारा कांग्रेस और राकांपा से अलग है तो फिर कांग्रेस उसे समर्थन क्यों दे रही है। इस सवाल के जबाव में दिग्विजय सिंह ने कहा- बिल्कुल शिवसेना की विचारधारा कांग्रेस और राकांपा से अलग है। लेकिन हाल के दिनों में शिवसेना में बदलाव हुआ है। महाराष्ट्र कांग्रेस ने सोच समझ कर समर्थन देने का निर्णय लिया है। दिग्विजय सिंह ने कहा- शिवसेना के साथ भाजपा ने वादाखिलाफी की है। 50-50 के फार्मूले पर गठबंधन तय हुआ था और दोनों दल साथ लड़े। महाराष्ट्र में इन्हें जीत भी मिली लेकिन भाजपा अपने वादे से मुकर गई। शिवसेना के नेता लगातार ढाई-ढाई साल के सीएम होने की बात कर रहे हैं जबकि अमित शाह खामोश हैं इसका मतलब है कि दोनों के बीच फार्मूला तय हुआ था।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन
बता दें कि 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विघानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से 12 नवंबर तक कोई भी दल सरकार नहीं बना सका। जिस कारण से महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिस की। इसे राष्ट्रपति की ओर से मंजूर कर लिया गया।
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