बिड़ला ग्रुप को एक जनवरी तक देना होंगे 27 करोड़, पैसा जमा होने के बाद मिलेगा आशय पत्र
भोपाल। छतरपुर की बंदर हीरा खदान मिलने के बाद बिड़ला ग्रुप के अधिकारी गुरुवार को खनिज विभाग में पहुंचे। अफसरों ने उन्हें बताया कि 1 जनवरी 2020 तक उन्हें 27 करोड़ रुपए जमा करवाना है, उसके बाद ही उन्हें इस खदान का ठेका मंजूर करने का आशय पत्र दिया जाएगा। इसके आधार पर कलेक्टर छतरपुर ये खदान कंपनी को सौंपेंगे।
सरकार ने कंपनी को तीन साल तक के लिए वन एवं पर्यावरण की स्वीकृति सहित अन्य औपचारिकताओं के लिए समय दिया है। यह समय दो साल तक के लिए और बढ़ाया जा सकेगा। विभाग के अफसरों का कहना है कि पांच साल बाद यानि 2024 से सरकार को हर साल लगभग 520 करोड़ रूपए प्रति वर्ष मिलेंगे।
इसमें 330 प्रीमियम, जिला माइनिंग फंड में 50 करोड़, रायल्टी 120 करोड़, खनिज खोज के लिए 10 करोड़ और टीडीएस के रुप में 10 करोड शामिल है। छतरपुर माइनिंग अधिकारी बिड़ला ग्रुप को राज्य सरकार की तमाम औपचारिताएं पूरी करने के लिए कंपनी का सहयोग करेंगे। यहां मुख्यालय स्तर पर दो वरिष्ठ अधिकारी इस मामले की मानीटरिंग करेंगे।
उधर कंपनी के अधिकारी और इंजीनियर भी तमाम स्वीकृतियां लेने के लिए सक्रिय हो गए हैं। कंपनी के कुछ अधिकारी माइनिंग अफसर और जिला प्रशासन के अधिकारियों से मिल कर खनिज खदान के नक्शे के संबंध में लानकारी ली है। गौरतलब है कि 30.05 उच्च बोली लगा कर बिड़ला ने 55 हजार करोड़ की बंदर खदान लिया है।
खनिज विभाग ने निविदा खोलने के दूसरे दिन बुधवार को ऑन लाइन सफल निविदा कर का पत्र जारी कर दिया है। इसके साथ ही इस पत्र की एक प्रति कंपनी के अधिकारियों को भी दे दी है। खदान पर कब्जा लेने के बाद कंपनी इसका बाउंड्रीबाल तैयार करने के साथ ही इसमें आने-जाने पर रोक के लिए गेट लगाएगी। यह खदान कैमरे की निगरानी में रहेगी। जिससे माइनिंग अफसर और कंपनी के अधिकारी दोनों इस कैमरे से खदान में चल रही हरकतों को देख सकेंगे।
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