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68 हजार करोड़ खर्च कर 4 साल में साढ़े 5 करोड़ लोगों तक पानी पहुंचाने की तैयारी

भोपाल : सरकार ने प्रदेश के गांवों तक पानी पहुंचाने के लिए 68 हजार करोड़ का मेगा प्लान तैयार किया है। इस योजना के तहत अगले चार साल में प्रदेश के प्रत्येक गांव के हर एक घर तक पानी पहुंचाने की योजना बनाई गई है। पेयजल योजनाओं की बेहतर प्लानिंग के लिए सरकार ने आईआईटी दिल्ली से अनुबंध किया है। आईआईटी दिल्ली ने ही ये बड़ी कार्ययोजना तैयार की है। फंड की कमी से जूझ रही सरकार कर्ज लेकर पेयजल के इस मेगा प्लान को अमलीजामा पहनाएगी। इस योजना से 1 लाख 28231 बसाहटों में रहने वाली प्रदेश की 5 करोड़ 88 लाख आबादी तक पानी पहुंचाया जाएगा।

कर्ज लेकर पानी पिलाएगी सरकार :

पेयजल की इस बड़ी योजना के क्रियान्वयन के लिए सरकार ने न्यू डेवलपमेंट, जायका, एशियन डेवलपमेंट बैंक और नाबार्ड से कर्ज लेने की पहल की है। न्यू डेवलपमेंट बैंक ने पेयजल की योजनाओं के लिए फिलहाल साढ़े चार हजार करोड़ रुपए दे भी दिए हैं। इसके अलावा जायका से नीमच,मंदसौर जिले के सभी गांव और रतलाम के आलोट ब्लॉक के कुल 1735 गांवों के लिए कर्ज की मंजूरी दे दी है। पीएचई विभाग ने अलग-अलग जिलों के 14 हजार 510 गांवों की 45 समूह जलप्रदाय योजनाओं की डीपीआर भी तैयार कर ली है। इन योजनाओं के पूरा होने से प्रदेश की एक करोड़ आबादी तक नल के जरिए साीधे पानी पहुंचने लगेगा। पीएचई विभाग की जानकारी के मुताबिक पिछले 15 सालों में 12 फीसदी घरों तक ही नल के माध्यम से पानी पहुंचाया गया है।

दो साल में 64 लाख लोगों तक पानी :

सरकार ने 6672 करोड़ की लागत से 39 योजनाओं पर काम शुरु कर दिया है। इन योजनाओं का काम अगले दो साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। इन योजनाओं के काम पूरा होने पर 6091 गांवों की 64 लाख आबादी को पानी मिलने लगेगा। पीएचई विभाग का दावा है कि 19 पेयजल योजनाओं को पूरा कर लिया गया है जिनके जरिए 802 गांवों की करीब 11 लाख 45 हजार जनसंख्या को घरेलू नल कनेक्शन के जरिए पानी देना शुरु कर दिया गया है।

राइट टू वॉटर कानून से हटेगा दंड का प्रावधान :

सरकार राइट टू वॉटर के जरिए हर व्यक्ति को पानी का अधिकार देना चाहती है। इस कानून के मसौदे से सरकार ने दंड का प्रावधान हटा लिया है। लेकिन सरकार कानून के बेहतर क्रियान्वयन के लिए अधिकारी-कर्मचारियों पर जवाबदेही तय करेगी। योजना को अंतिम रुप देने के लिए मसौदे को हाईलेवल कमेटी को सौंप दिया गया है। आगामी बजट सत्र में राइट टू वॉटर का विधेयक विधानसभा में पेश कर दिया जाएगा। इसके लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया है। पेयजल की नई नीति के तहत सरकार 300 मीटर के दायरे में पानी के स्त्रोत को उपलब्ध कराने जा रही है। पेयजल उपलब्ध कराने में सरकार सबसे पहले उन गांवों पर फोकस कर रही है जहां गर्मी में पानी की समस्या विकराल रुप ले लेती है और लोगों को पीने के पानी के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है।


- हमने गांव के अगले चार साल में हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए 68 हजार करोड़ का मेगाप्लान तैयार किया है। इसके लिए न्यू डेवलपमेंट, जायका, एशियन डेवलपमेंट बैंक और नाबार्ड से कर्ज लिया जा रहा है। राइट टू वॉटर के ड्राफ्ट से भी हम दंड का प्रावधान हटा रहे हैं। हम ऐसा कानून नहीं बनाएंगे जिससे लोगों को परेशानी हो। कानून के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सरकार अधिकारी-कर्मचारियों की जवाबदेही जरुर तय करेगी।
- सुखदेव पांसे मंत्री,पीएचई -



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