कैबिनेट बैठक / नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी, संसद में दूसरी बार इसी सत्र में पेश किया जाएगा
नई दिल्ली. केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी। इससे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर मुस्लिमों (हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देने में आसानी होगी। सरकार शीतकालीन सत्र में ही विधेयक को संसद में पेश कर सकती है। मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल के दौरान इसी साल जनवरी में बिल लोकसभा में पास करा लिया था, लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण राज्यसभा में अटक गया था।
दरअसल, विपक्षी दल धार्मिक आधार पर भेदभाव के रूप में नागरिकता विधेयक की आलोचना कर चुके हैं। उनकी मांग है कि श्रीलंका और नेपाल के मुस्लिमों को भी इसमें शामिल किया जाए। बिल को लेकर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों ने आपत्ति जताई थी और कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। Q&A में समझें नागरिकता संशोधन विधेयक...
1. नागरिकता कानून कब आया और इसमें क्या है?
जवाब: यह कानून 1955 में आया। इसके तहत भारत सरकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को 12 साल देश में रहने के बाद नागरिकता देती है।
2. सरकार क्या संशोधन करने जा रही?
जवाब: संशोधित विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता मिलने की समयावधि 6 साल करने का प्रावधान है। साथ ही 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता मिल सकेगी। इसके लिए किसी वैध दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी।
3. विरोध क्यों हो रहा?
जवाब: पूर्वोत्तर के लोगों का विरोध है कि यदि नागरिकता बिल संसद में पास होता है तो इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत खत्म हो जाएगी।
4. असम समझौता क्या था?
जवाब: इसमें 1971 से पहले आए लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान था। सरकार का कहना है कि यह विधेयक असम तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे देश में प्रभावी होगा।
विधायिका में आरक्षण बढ़ाए जाने का बिल भी इसी सत्र में
इसके अलावा कैबिनेट ने बुधवार को लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को 10 साल बढ़ाने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दी। यह आरक्षण 25 जनवरी 2020 को खत्म हो रहा था। सूत्रों ने बताया कि सरकार आरक्षण को बढ़ाए जाने के लिए इसी सत्र में बिल पेश करेगी।
मोदी कैबिनेट के अन्य फैसले
प्रगति मैदान में फाइव स्टार होटल के निर्माण के लिए लैंड मोनेटाइजेशन के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। इसके तहत इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन (आईटीपीओ) प्रगति मैदान में वर्ल्ड क्लास इंटरनेशनल एग्जीविशन एंड कन्वेंशन सेंटर बनेगा।
भारत बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड को लॉन्च करने, जम्मू-कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) बिल को वापस लेने और पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को हरी झंडी दी गई।
सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी बिल को मंजूरी दी गई। इसके तहत देश के तीन डीम्ड संस्कृत विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय में बदला जाएगा।
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