अब बकस्वाहा खदान के दूसरे हिस्से में शुरू होगी हीरा भंडार की खोज
भोपाल। सरकार अब बकस्वाहा खदान के दूसरे हिस्से में हीरा भंडार की खोज की जाएगी। यह काम भारत सरकार के उपक्रम नेशनल मिनिरल्स डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनएमडीसी ) को देने की तैयारी की जा रही है। कंपनी हीरे के भंडार खोज कर इसकी रिपोर्ट तीन साल के अंदर सरकार को सौंपेगी।
इस काम के लिए एनएमएएल को वन एवं पर्यावरण की स्वीकृति लेना होगी। इसके अलगले चरण में सरकार दो हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर हीरे की मात्रा तलाशने की तैयारी करेगी, यह काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। छतरपुर से पन्ना जिले तक की पूरी पट्टी पर हीरा होने की संभावना है। हालांकि ज्यादातर हीरे की खदनें वन क्षेत्र में हैं, इसके चलते सरकार को हीरे की खोज और उत्खनन में देरी लग रही है।
छतरपुर बकस्वाहा हीरा खदान में कुल 954 हेक्टेयर हिस्से में हीरा है। पूरे क्षेत्र में अंतर्राष्ट्री कंपनी रियोटेंटो ने हीरा उत्खनन के लिए आवेदन किया था। लेकिन पर्यावरण की अनुमति नहीं मिलने के चलते कंपनी इस प्रोजेक्ट को सरेंडर कर दिया था। अब सरकार 954 हेक्टेयर में से इसके 364 हेक्टेयर का बिड़ला को दे दिया है, दूसरे हिस्से में हीरे की खोज कराई जाएगी। हालांकि पूरे क्षेत्र में हीरा भंडार होने की रिपोर्ट रियोटिंटो ने सरकार को दी थी, लेकिन अब सरकार 590 हेक्टेयर में नए सिरे से हीरे की खोज कराएगी। बताया जाता है कि 364 हेक्टेयर में लगभग 3.50 करोड़ कैरेट के हीरे के भण्डार होना बताया जा रहा है।
इसी अनुपात में हीरा मिलने का संभावना
खनिज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसमें हीरे का भंडार उसी के समान मिलने का संभावना है। खनिज खोज यह देखा जाएगी कि इस क्षेत्र में कितने मात्रा में हीरा है। हीरा भंडार रिपोर्ट के आधार पर ही नीलामी प्रक्रिया की जाएगी। वहीं अधिकारियों का यह भी मानना कि खनिज खोज में कंपनी को करीब तीन साल का समय लगेगा। खनिज खोज में वन एवं पर्यावरण सहित अन्य अनुमतियां लेना पड़ेगी।
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