कोरोना में डाटा गेम्बलिंग : हजारों सेम्पल रिपोर्ट पर पर्दा, गायब या रिजेक्ट डाटा छिपाया - Web India Live

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कोरोना में डाटा गेम्बलिंग : हजारों सेम्पल रिपोर्ट पर पर्दा, गायब या रिजेक्ट डाटा छिपाया

jitendra chourasiya@ भोपाल। कोरोना के कहर से निपटने के बीच मध्यप्रदेश में सेम्पल रिपोर्ट में डाटा-गेम्बलिंग में शुरू गई है। दरअसल, कोरोना के पॉजीटिव व निगेटिव मरीजों के बीच सेम्पलिंग का एक बड़ा डाटा संदेह के घेरे में हैं। करीब नौ हजार सेम्पल की रिपोर्ट हेल्थ बुलेटिन में गायब हो गई है। इसमें यही पता नहीं कि इन सेम्पल का क्या हुआ। ये सेम्पल गायब हुए, रिजेक्ट हुए या अनवेलिट बताए गए। इससे कोरोना मरीजों के पूरे डाटा पर संदेह की स्थिति बन जाती है। जानिए, कैसे हुई कोरोना सेम्पल में डाटा गेम्बलिंग...
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30 अप्रैल के बाद गायब हो गए डाटा-
अफसरशाही ने कोरोना के डाटा में 30 अप्रैल के बाद जमकर गेम्बलिंग की। 30 मई की स्थिति में 41712 सेम्पल रिपोर्ट मध्यप्रदेश को मिली थी। इसमें
2625 सेम्पल पॉजीटिव मिले, जबकि 29816 रिपोर्ट निगेटिव मिली थी। इनके बीच 9271 सेम्पल की रिपोर्ट का कोई उल्लेख नहीं था। यह रिपोर्ट गायब थी या रिजेक्ट थी, इस पर पर्दादारी की गई। क्योंकि लंबित रिपोर्ट अलग थी। लेकिन, एक मई से अफसरशाही ने इस 9271 सेम्पल को ही गायब कर दिया। इसके बाद सेम्पलिंग का डाटा तो रखा गया, लेकिन पॉजीटिव व निगेटिव के बीच इन 9271 रिपोर्ट को गायब कर दिया गया। एक मई की स्थिति में 44116 रिपोर्ट मिली, जिनमें से 2715 पॉजीटिव और 39353 निगेटिव थी। बाकी 2048 सेम्पल का कोई उल्लेख ही नहीं किया गया। ये सेम्पल रिजेक्ट हुए या अवैध रहे नहीं बताया गया, लेकिन 9271 की बजाए 2048 सेम्पल बताए गए।
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यूं देखिए डाटा-गेम्बलिंग-
30 अप्रैल की स्थिति में-
41712 सेम्पल रिपोर्ट मिली
2625 सेम्पल पॉजीटिव मिले
29816 रिपोर्ट निगेटिव मिली
9271 रिपोर्ट का कोई उल्लेख नहीं
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01 मई की स्थिति में-
44116 रिपोर्ट मिली
2715 पॉजीटिव आए
39353 निगेटिव निगेटिव
2048 रिपोर्ट का कोई उल्लेख नहीं
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तीन मई की स्थिति में-
49186 सेम्पल
2837 पॉजीटिव
43937 निगेटिव
2414 सेम्पल रिजेक्ट-अनवैलेड
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अब ऐसी स्थिति-
छह मई की स्थिति में प्रदेश में 54595 सेम्पल रिपोर्ट मिल चुकी है, लेकिन इनमें से कितनी रिजेक्ट और अनवेलेड रही यह कोरोना बुलेटिन में नहीं बताया गया इसकी बजाए पैटर्न ही बदल दिया गया। इसमें अब कुल सेम्पल रिपोर्ट की बजाए हर दिन की रिपोर्ट बताई जाने लगी। इसके तहत छह मई की स्थिति में 2750 सेम्पल रिपोर्ट मिली, जिसमें 91 पॉजीटिव, 2548 निगेटिव और 111 रिजेक्टेड रही।
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क्या है वजह ?
डाटा-गेम्बलिंग के पीछे लापरवाही को छुपाने और बढ़ते आंकड़ों को कम बताने की मंशा है। दरअसल, जो सेम्पल रिजेक्ट हो रहे हैं या अनवेलेड बताए जा रहे हैं, उसके पीछे सेम्पल लेने वाली टीम व सेम्पल को स्टोर करने वाली टीम की लापरवाही है। इसलिए कार्रवाई से बचने इस डाटा पर पर्दादारी है। सेम्पल को रखने के लिए एक निश्चित टेम्प्रेचर व व्यवस्था अनिवार्य है, उसमें भी लापरवाही होने से सेम्पल रिजेक्ट हो जाते हैं। इसके अलावा इंदौर में सेम्पल लेकर टेस्ट के लिए भेजना भूल जाने की लापरवाही भी हो चुकी है।
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एक्सपर्ट व्यू : मध्यप्रदेश में कोरोना के डाटा के साथ खेल खेला जा रहा है। इसमें संख्या कम बताने के लिए डाटा को मैन्युपलेट किया जा रहा है। पॉजीटिव व निगेटिव रिपोर्ट के बीच कई सेम्पल रिपोर्ट के डाटा गायब भी हैं। इसके अलावा टेम्प्रेचर स्टोरेज में भी लापरवाही बरती जा रही है।
- अमूल्य निधि, राष्ट्रीय सह-समन्वय, जन स्वास्थ्य अभियान, मप्र
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चार डिग्री सेल्सियस पर रहे वायरस-
सेम्पल लेने के बाद वायरस ट्रासपोर्ट मीडियम किट में लेते है। पांच दिन तक इस वायरस सेम्पल को चार डिग्री सेल्सियस में रखना होता है। यदि पांच दिन से ज्यादा होते हैं, तो माइनस 70 पर रखा जाता है। सेम्पल ठीक से नहीं लेने, सही टेम्प्रेचर पर नहीं रखने, सही तरह कैरी नहीं करने या इंफार्मेंशन में चूक होने पर सेम्पल रिजेक्ट हो सकता है।
- डा. अनंत भान, पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ, भोपाल
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हर जिले से रिपोर्ट आनलाइन आती है, इसके चलते बार-बार डाटा अपडेट होता है। सरकार लगातार कोरोना के डाटा को अपडेट कर रही है। हमारे डाटा सही हैं, फिर भी यदि कहीं कोई त्रुटि है, तो उसे हम दिखवाएंगे।
- फैज अहमद किदवई, आयुक्त, स्वास्थ्य विभाग, मप्र
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अब हमारे यहां ऑनलाइन एप के माध्यम से सेंपल की नियमित मॉनीटरिंग हो रही है। जो सेंपल रिजेक्ट होते है उनकी तत्काल सूचना संबंधित व्यक्ति तो पहुंच जाती है ताकि वे फिर से सेंपल ले सकें। सैंपलिंग की व्यवस्था को पूरी तरह से दुरूस्त किया गया है। जल्द ही इसकी क्षमता और बढ़ाई जा रही है। मेरे विभाग संभालने के बाद पहला काम सेंपल का बैकलॉग खत्म किया। अब कोई शिकायत नहीं है।
- डॉ. नरोत्तम मिश्रा, स्वास्थ्य मंत्री, मप्र
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