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भाग्य को मजबूत करने के उपाय, जानें हर ग्रह को ताकतवर करने के तरीके

ज्योतिष में किसी भी जातक की जन्मकुंडली में नवम भाव सबसे महत्वपूर्ण भाव माना जाना चाहिए। नवम भाव लग्न से गिनने पर नौवें घर को कहा जाता है। इसी नवम भाव में जो भी राशि नंबर होगा, उस राशि के स्वामी को भाग्येश कहा जाएगा। नवम भाव में कर्क राशि यानी चार नंबर हो तो उसका स्वामी चंद्रमा होगा।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार कुंडली में नवम भाव (भाग्य स्थान) और इसके स्वामी ग्रह (भाग्येश) की बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है, नवम भाव को जहां धर्म भक्ति और आस्था का कारक माना गया है। वहीं व्यक्ति के भाग्य का प्रतिनिधित्व भी नवम भाव ही करता है, कुंडली में नवम भाव भाग्य स्थान होने के कारण ही सबसे विशेष स्थान रखता है और भाग्य स्थान व भाग्येश की स्थिति जीवन के प्रत्येक कार्य की सफलता में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, कुंडली में भाग्य स्थान और भाग्येश अच्छी और बलवान स्थिति में होने पर व्यक्ति का भाग्योदय जल्दी व सरलता से हो जाता है। तो वहीँ भाग्य स्थान व भाग्येश कमजोर और पीड़ित होने पर जीवन में संघर्ष की अधिकता होती है आसानी से भाग्योदय नहीं होता तथा प्रत्येक कार्य की पूर्ति में बाधायें आती हैं।

: भाग्येश का केंद्र त्रिकोण (1,4,7,10,5,9 भाव) में होना व्यक्ति को अच्छा भाग्य देता है तथा जीवन में किये गए प्रयास सफल रहते हैं।
: भाग्य स्थान में शुभ ग्रह होना भी भाग्य वृद्धि करता है।
: यदि भाग्येश नीच राशि में हो तो व्यक्ति के भयोदय में विलम्ब और संघर्ष होता है।
: यदि भाग्येश पाप भाव (6,8,12) में हो तो जीवन में संघर्ष की अधिकता होती है तथा भाग्योदय में विलम्ब होता है।
: यदि भाग्य स्थान में कोई पाप योग (ग्रहण योग, गुरुचांडाल योग, अंगारक योग आदि) बन रहा हो तो ऐसे में व्यक्ति के भाग्य में बहुत अड़चने आती हैं। और आसानी से भाग्योदय नहीं हो पाता।
: भाग्य स्थान में कोई पाप ग्रह नीच राशि में हो तो वह भी भाग्योदय में विलम्ब और संघर्ष कराता है।

यदि कुंडली में भाग्येश अच्छी स्थिति में हो और शुभ स्थान में बैठा हो तो ऐसे में भाग्येश की दशा आने पर व्यक्ति की बहुत उन्नति और भाग्योदय होता है और व्यक्ति जीवन में अपनी योजनाओं को पूरा करने में सक्षम होता है और अपने लक्ष्यों की और आगे बढ़ता है।

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ऐसे करें अपने भाग्येश को मजबूत...

: यदि बुध भाग्येश होकर अच्छा फल देने में असमर्थ हो तो ये उपाय करने चाहिए।

1. तांबे का कड़ा हाथ में धारण करें।

2. गणेश जी की उपासना करें।

3. गाय को हरा चारा खिलाएं।


: यदि शुक्र भाग्येश होकर फलदायक न हो तो ये उपाय करने चाहिए।
1. स्फटिक की माला से क्क शुं शुक्राय नमः की एक माला का जप करें।

2. शुक्रवार को चावल का दान करें।

3. लक्ष्मी जी की उपासना करें।

: भाग्येश चंद्र को अनुकूल करने के लिए ये उपाय करें।
1. ऊँ श्रां: श्रीं: श्रौं: सः चंद्रमसे नमः का जप करें।

2. चांदी के गिलास में जल पिएं।

3. शिव जी की उपासना करें।

: यदि भाग्येश गुरु साथ न दे रहा हो तो ये उपाय करें।
1. विष्णु जी की आराधना करें।

2. गाय को आलू में हल्दी लगा कर खिलाएं।

3. गुरुवार को पीली वस्तुओं का दान करें।

: भाग्येश शनि को मजबूत करने के लिए ये उपाय करें।
1. काले वस्त्रों तथा नीले वस्त्रों को यथा संभव न पहनें।

2. शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे दिया जलाएं।

3. शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।

: भाग्येश मंगल को अनुकूल करने के लिए ये उपाय करें।
1. मजदूरों को मंगलवार को मिठाई खिलाएं।

2. लाल मसूर का दान करें।

3. मंगलवार को सुंदर कांड का पाठ करें।

: भाग्येश सूर्य को प्रबल करने के लिए ये उपाय करें।
1. गायत्री मंत्र का जप करें।

2. सूर्य को नियमित जल दें।

3. ''ऊँ खोल्काय नमः'' मंत्र का जप करें।



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