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patrika positive news: बच्चों के संक्रमित होने पर परिवार ने मिलकर ऐसे जीती जंग

 

प्रवेंद्र तोमर

भोपाल। कॉलोनी परिसर में खेलते हुए बच्ची कोरोना पॉजीटिव हो गई। लक्षण देखकर जांच कराई तो पता चला। डॉक्टरों ने 9 साल की बच्ची को होम आइसोलेशन में रखा। बाकी माता-पिता और भी तीनों निगेटिव थे, तो सवाल उठा कि बच्ची की देखभाल कैसे करें?

पिता रामनाथ शास्त्री बताते हैं कि उन्होंने हौसला बनाए रखा और पूरा परिवार बच्ची की देखभाल में जुट गया। उन्होंने बच्ची को अपने से अलग नहीं किया, उसे महसूस नहीं होने दिया कि वो पॉजीटिव है।

 

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नतीजा यह हुआ कि एक के बाद हम सभी यानी पूरा परिवार संक्रमित हो गया, लेकिन होम हाइसोलेशन में दवा लेते रहे। शास्त्री का परिवार शिव आंगन सलैया सोसायटी में रहता है। एक-एक कर पूरा परिवार 2 मई तक कोरोना को मात देकर बाहर आ गया। शास्त्री बताते हैं कि वे 12 नंबर स्थित बालाजी मंदिर के पुजारी हैं। भगवान में आस्था और हौंसले से पूरा परिवार कोरोना से बाहर है। बेटी के पहले दिन कोरोना पॉजीटिव होने की सूचना मिली तो पूरा परिवार सो नहीं सका था। पं. शास्त्री का कहना है कि हौंसले से कोरोना को हराया जा सकता है।

 

 

 

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250 बच्चे हुए इस बार पॉजीटिव

कोरोना की दूसरी लहर में करीब 250 से ज्यादा 10 साल की उम्र तक के बच्चे पॉजीटिव हुए। बच्चों व उनकी मां ने हौंसलों से हराया है। यदि तीसरी लहर आती भी है तो ऐसी माताएं मिलकर बच्चों के संकट दूर कर सकती हैं।

केस-1

मां चार साल के बेटे को सीने से लगाए रही

चंद्र प्रकाश मीना भेल में डिप्टी मैनेजर हैं। बेटी समीक्षा (10) और बेटा (4) संक्रमित हो गए। मां हेमा निगेटिव थी, लेकिन दोनों बच्चों को छोड़ा नहीं। हेमा दिन-रात बच्चों के पास ही रहती हैं। उनमें कोरोना के लक्षण दिखे, लेकिन बच्चों की सेवा करती रही। होम आइसोलेशन में डॉक्टरों से सलाह लेती रही। बेटे को उन्होंने अपने कलेजे से दूर नहीं किया। 5 मई को पूरा परिवार होम आइसोलेशन में रहकर ठीक हो गया। पड़ोसी भी हेमा के जज्बे की तारीफ करते हैं। पूरा परिवार सुरभि लाइफ खजुरी में निवास करता है।

 

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केस-2

प्रोटोकॉल पर भारी पड़ी मां की ममता

शिवलोक ग्रीन खजुरीकला निवासी सौम्यारंजन की पत्नी ईला और बेटा तीर्थ (9) पॉजीटिव मिले। प्रोटोकॉल के तहत दोनों को होम आइसोलेशन में अलग रहना था, लेकिन मां की ममता के आगे प्रोटोकॉल भी कमजोर साबित हो गया। मां अपने बेटे की हर समय देखभाल करती रही। उसे समय पर दवा देकर खुद भीदवा खाती रहीं, लेकिन बच्चे को अपने से अलग नहीं किया।

 

कहानी सुनते-सुनते ठीक हुए बच्चे

10 साल तक की उम्र के काफी बच्चे पॉजीटिव हुए उन परिवार का साथ मिला। नाइट ड्यूटी में आने वाले डाक्टर उनसे वीडियो कॉल पर बात करते। कहानी सुनते-सुनते प्रॉपर देखभाल से होम आईसोलेशन में बच्चे ठीक हुए हैं।

डॉ. सुनीता टांक, प्रभारी, स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम, होम आइसोलेशन



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