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भास्कर समूह ने 700 करोड़ की कमाई पर नहीं चुकाया टैक्स

भोपाल। गुरुवार को भास्कर समूह के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (bhaskar group of companies ) पर देशभर में छापों के बाद शनिवार को बड़े पैमाने पर कर चोरी का खुलासा हुआ है। पिछले 6 वर्षों से भास्कर समूह ने 700 करोड़ की आय पर टैक्स ही नहीं भरा। 100 कंपनियों पर 2200 करोड़ के लेनदेन पर आयकर विभाग को संदेह है।

 

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आयकर विभाग ने शनिवार देर शाम को आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कई खुलासे किए हैं। आयकर विभाग के मुताबिक भास्कर समूह की मीडिया के अलावा कई व्यापारिक कंपनियां हैं, जिनमें बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी व्यापार है। 6 हजार
करोड़ के टर्न ओवर वाले इस समूह के मुंबई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर नोएडा और अहमदाबाद समेत 9 शहरों में फैले 20 आवासीय और 12 व्यावसायिक परिसरों पर छापे मारे गए थे। इस दौरान भास्कर समूह की 100 से अधिक कंपनियों का पता चला है।

 

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धोखे से कर्मचारियों के नामों का इस्तेमाल

बताया गया है कि भास्कर समूह अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियों का भी संचालन कर रहा था, जिनका इस्तेमाल मेन कंपनी का प्राफिट कम करने के लिए कर्मचारियों के नाम पर बनाई गई फर्जी कंपनियों कंपनियों का इस्तेमाल करते थे। जांच में यह भी पता चला है कि इस ग्रुप के कई कर्मचारियों को इन छोटी-छोटी कंपनियों में शेयर होल्डर और डायरेक्टर बनाया गया था। यह बात कर्मचारियों को पता ही नहीं थी। आयकर विभाग की पूछताछ में कर्मचारियों ने बताया कि हमने तो भास्कर समूह के मालिकों के मांगने पर आधार कार्ड और अपने डिजिटल सिग्नेचर दे दिए थे। उन्होंने बताया कि हमें नहीं पता कि उनके डाक्यूमेंट का इस्तेमाल इस्तेमाल ऐसी कंपनियों में इस्तेमाल किया गया है।

 

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रिश्तेदारों के नाम भी कंपनियां

आयकर विभाग की पड़ताल में यह भी तथ्य सामने आया है कि कुछ रिश्तेदारों के नाम भी इस्तेमाल किए जा रहे थे, जिन्होंने स्वेच्छा से या जानबूझकर कागजात पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन कंपनियों की व्यावसायिक गतिविधियों का उन्हें कोई पता नहीं था। इन कंपनियों का भी इस्तेमाल फर्जी खर्चों और लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता था। निवेश की राशि को अन्य कंपनियों में ट्रांसफर करना भी इसमें शामिल था। फर्जी बिल बनाकर कई खर्चों को इन कंपनियों में डाल दिया जाता था। इसमें कंपनी की तरफ से सिक्योरिटी, परिवहन आदि में खर्च बता दिया जाता था। इस ग्रुप ने टैक्स चोरी करने के लिए फर्जी बुक भी तैयार किया था। सूची बद्ध कंपनियों का लाभ को शेल कंपनियों में ट्रांसफर किया जाता था, जिससे टैक्स बचाया जा सके। इन कंपनियों के जरिए पिछले 6 सालों में 700 करोड़ की आय पर टैक्स नहीं दिया गया। आयकर विभाग ने यह भी कहा कि यह राशि और भी बढ़ सकती है।

 

अपनी की कई कंपनियों में पैसा घुमाया

भास्कर समूह ने ऐसी अपनी ही कई कंपनियों में पैसों का घुमाया, जिनका आपस में व्यापारिक रिलेशन नहीं है। 2200 करोड़ रुपए अपनी ही
कंपनियों में घुमाकर निकाल लिए।

 

 

मॉल के कर्ज में भी गड़बड़ी

मॉल का संचालन करने वाले समूह की अचल संपत्ति इकाई को एक निर्धारित समयावधि के लिए बैंक से 597 करोड़ रुपए ऋण स्वीकृत किया गया था। इसमें से 408 करोड़ रूपए को एक प्रतिशत की कम ब्याज दर पर ऋण के रूप में एक सहयोगी संस्था को दिया गया है। जबकि रियल एस्टेट कंपनी अपने कर योग्य लाभ से ब्याज के खर्च का दावा कर रही है, इसे होल्डिंग कंपनी के व्यक्तिगत निवेश के लिए डायवर्ट किया गया है।



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