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2 माह में 13 किलो वजन घटाकर दी थाइराइड को मात, जीत लिया ताज

भोपाल। मिसेज इंडिया- शी इज इंडिया-2021 में भोपाल की अमृता त्रिपाठी ने मिसेज इंडिया फर्स्ट प्रिंसेज का खिताब जीता है। वे पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर और आंत्रप्रेन्योर हैं। यह खिताब जीतने वाली अमृता सेंट्रल इंडिया से पहली कंटेस्टेंट हैं। कॉम्पीटिशन 17 से 22 अगस्त तक गुरुग्राम में आयोजित किया गया था। देशभर के 25 फाइनलिस्टों के बीच 6 दिनों तक विभिन्न राउंड हुए। उन्हें अभिनेत्री संगीता बिजलानी ने ताज पहनाया। उन्होंने स्टेट वाइज हंट प्रतियोगिता के साथ ब्यूटी विद सब्स्टेंस सब टाइटल भी जीता है। अब वे नवबंर में साउथ कोरिया में देश को रिप्रेजेंट करेंगी। शादी के 12 साल बाद वे प्रतियोगिता उतरीं और जीत हासिल की।

डाइट पर रखें कंट्रोल, बनाए रखें आत्मविश्वास
अमृता ने बताया कि जून-2020 से कॉम्पीटिशन की तैयारियां शुरू कर दी। मुझे थायराइड की समस्या है, इस कारण वजन बढ़कर 73 किलोग्राम हो गया था। साथ ही मैं अस्थमा की मरीज भी हूं। मैंने अपने सपने को पूरा करने के लिए 13 किलोग्राम वजन घटाया। इसके लिए योग, एक्सरसाइज और डाइट चार्ट का सख्ती से पालन किया। कॉम्पीटिशन की तैयारियों के दौरान मैंने जाना कि एक महिला का जीवन सिर्फ किचन और बच्चों की देखभाल तक सीमित नहीं है, उसे भी पुरुषों की तरह अपने सपनों को जीने का हक है।

2 माह में 13 किलो वजन घटाकर दी थाइराइड को मात, जीत लिया ताज

शादी के पांच साल बाद शुरू की जॉब
अमृता ने बताया कि शादी और बच्चा होने के बाद मैं सिर्फ परिवार की जिम्मेदारियां ही संभाल रही थीं। पति हमेशा सपोर्ट करते थे, लेकिन सच्चाई यह भी है कि जब तक महिला खुद पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भर नहीं बनती है वो हमेशा निर्भर रहती ही है। मेरा बेटा दो साल का था, तब मैंने एमबीए किया और यूनिवर्सिटी टॉपर बनी। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान पूरे विश्व में घरेलू हिंसा के मामले सामने आ रहे थे। इस प्लेटफॉर्म का मकसद डोमेस्टिक वायलेंस के प्रति जागरुकता फैलाना था। मैंने इस मंच को चुना। यह पीजेंट एक ग्लैमर शो नहीं है बल्कि महिलाओं को अपने आपको साबित करने का मौका देता है।

शादी के पांच साल बाद शुरू की जॉब
अमृता ने बताया कि शादी और बच्चा होने के बाद मैं सिर्फ परिवार की जिम्मेदारियां ही संभाल रही थीं। पति हमेशा सपोर्ट करते थे, लेकिन सच्चाई यह भी है कि जब तक महिला खुद पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भर नहीं बनती है वो हमेशा निर्भर रहती ही है। मेरा बेटा दो साल का था, तब मैंने एमबीए किया और यूनिवर्सिटी टॉपर बनी। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान पूरे विश्व में घरेलू हिंसा के मामले सामने आ रहे थे। इस प्लेटफॉर्म का मकसद डोमेस्टिक वायलेंस के प्रति जागरुकता फैलाना था। मैंने इस मंच को चुना। यह पीजेंट एक ग्लैमर शो नहीं है बल्कि महिलाओं को अपने आपको साबित करने का मौका देता है।



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