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तीन सिस्टम में बिगाड़ा मौसम का मिजाज,15 तक नहीं पड़ेगी एसी की जरूरत


मौसम के तीन विलेन
पश्चिमी विक्षोभ-पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड होते हुए गुजर रहा
दक्षिण पश्चिमी मप्र से होते विदर्भ, मराठवाड़ा, कर्नाटक के आगे तक ट्रफलाइन
दक्षिणी छत्तीसगढ़ में ऊपरी हवा का चक्रवात 0.9 किमी पर
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शहर में बारिश की स्थिति
1 मार्च से अब तक-3.5 इंच
- मई माह में अब तक-02 इंच
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भोपाल. मार्च, अप्रेल और अब मई माह में बारिश मौसम विज्ञानियों के लिए चिंता और चर्चा का विषय है। वर्षों बाद ऐसा हो रहा है। पश्चिमी विक्षोभ का असर देश के उत्तरी हिस्से के बजाय राजस्थान, उप्र और मप्र में दिख रहा है। इससे एक साथ कई-कई सिस्टम बन रहे हैं और बारिश हो रही है। 15 मई तक यही स्थिति रह सकती है। तापमान में बढ़ोतरी नहीं हुई तो तब तक एसी,कूलर नहीं चलेगा।
17 साल बाद कम तापमान
बारिश के कारण तापमान गिरा है। 17 साल बाद मई माह में बुधवार को शहर का अधिकतम तापमान 30 डिग्री पर रहा। न्यूनतम तापमान 20 डिग्री दर्ज हुआ। कमोबेश 29 मई 2007 को भी यही हाल था।
तीन सिस्टम जिससे बन रही बा?रिश की ?िस्थति, कल से कमी
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एक्सपर्ट व्यू
दो जगहों से मिल रही नमी
ममता यादव
असिस्टेंट डायरेक्टर, मौसम विभाग
इस समय तीन सिस्टम सक्रिय हंै। दक्षिण पश्चिम मप्र से दक्षिण भारत तक एक द्रोणिका बनी है। पश्चिमी विक्षोभ और छत्तीसगढ़ में ऊपरी हवा का चक्रवात भी है। ऐसे में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों से नमी मिल रही है। इसलिए प्रदेश में बारिश हो रही है। इसमें गुरुवार से कुछ कमी आएगी। दो तीन दिन हल्के बादल, बौछार जैसी स्थिति रहेगी। धूप खिलने के साथ तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी होगी, हालांकि, 15 मई तक बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी।
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अलनीना है उदासीन
डॉ. वेदप्रकाश सिंह
वरिष्ठ वैज्ञानिक, रेडार
फरवरी-मार्च में प्रशांत महासागर में लॉ-नीना सक्रिय था। इसके बाद अलनीना को सक्रिय होना था। लेकिन यह उदासीन है । इस कारण अटलांटिक व भूमध्य सागर जहां से पश्चिमी विक्षोभ बनते हैं, वह ज्यादा उठ रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े में 6 बार पश्चिमी विक्षोभ आ चुके हैं, जिसका असर मप्र से जुड़े क्षेत्रों में रहा। चक्रवाती हवाओं का घेरा और ट्रफ बनते रहे। इससे बारिश और ओलावृष्टि हुई। यह दौर एक सप्ताह तक चल सकता है। इसलिए मई के दूसरे पखवाड़े में ही गर्मी पड़ेगी।
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मानसून पर पड़ सकता है *****
शैलेंद्र नायक
मौसम विशेषज्ञ
जलवायु परिवर्तन के असर के कारण मौसम में बदलाव हुआ है। बारिश सामान्य से अधिक हुई है, जबकि सर्दी का असर ज्यादा नहीं रहा। गर्मी के सीजन में भी मार्च, अप्रेल में भी लगातार मौसम का मिजाज बदला रहा। गर्मी गायब है। मई में भी तापमान बहुत कम है। जलवायु परिवर्तन पर कई अध्ययनों ने भारत के मौसम के पैटर्न की बदलाव की सूचना दी है। लेकिन इसकी पुष्टि तभी की जा सकती है जब यह प्रवृत्ति 30 वर्षों तक जारी रहे। मई माह में तापमान सामान्य से कम रहा तो इसका असर मानसून पर पड़ सकता है।



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