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भोपाल को चाहिए राइट टू वॉक का हक

भोपाल. सड़क पर सुरक्षित चलने का हर नागरिक का हक है। पंजाब सरकार ने राइट टू वॉक के संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। इस तरह की सुविधा देने वाला पंजाब देश का पहला राज्य होगा। लेकिन राजधानी भोपाल की सड़कें, राहगीरों और साइकिलिंग के लिए बेहद असुरक्षित हैं। 500 किमी के मुख्यमार्ग में 20 फीसदी पर भी फुटपाथ नहीं हैं। जहां हैं वहां कब्जा है। सायकिल ट्रैक महज दो प्रतिशत हैं।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
शहर में ग्रीन व्हीकल यानी साइकिल, इलेक्ट्रिक स्कूटर समेत पैदल चलने के लिए सरकार कागजों में खूब खर्च कर रही है। हकीकत अलग है। सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर राइट टू वॉक के आदेश दिए थे। इसी के तहत मौजूदा सड़क के विस्तार या नई सड़क निर्माण में साइकिल ट्रैक व फुटपाथ का विशेष ध्यान रखकर इसका निर्माण अनिवार्य किया गया था। इसी के तहत शहर में कुछ जगहों पर काम हुए।
सरकार ने नहीं बनाया कानून
व्हीकल एक्ट की धारा 138-1ए के तहत हर राज्य को बिना मोटर वाली गाडिय़ों और राहगीरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की शक्ति मिली है। लेकिन अब तक मप्र सरकार ने इसके लिए कानून नहीं बनाया।
राइट टू वॉक का फायदा
-सड़कों और पुरानी सड़कों के विस्तार के समय फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाना अनिवार्य
-सड़कों पर सुरक्षित चलने का मिलेगा अधिकार
शहर में इसलिए सड़कें असुरक्षित
सड़क पार करने के उचित प्रबंध में कमी
एफओबी बंद होने से दिक्कत
सीढिय़ों से बुजुर्गो को चढऩे में परेशानी
स्कूल- अस्पताल के पास भी वाहनों की तेज रफ्तार
फुटपाथ की कमी, जो हैं उन पर कब्जे
महिला, बुजुर्ग व दिव्यांगों का ध्यान नहीं
डेनमार्क व नीदरलैंड उदाहरण
डेनमार्क व नीदरलैंड राहगीरों व साइकिल सवारों के लिए बेहद सुरक्षित शहर हैं। यहां सड़क पर वाहनों से ज्यादा राहगीरों व साइकिल सवारों को प्राथमिकता दी जाती है। भारत में चंडीगढ़, नोएडा में अपेक्षाकृत ठीक इंतजाम हैं।
सड़क फुटपाथ एक नजर में
- 4000 किमी से अधिक लंबाई की सड़कें
- 500 किमी लंबाई के मुख्यमार्ग
- 100 किमी से भी कम पर हैं फुटपाथ
- 10 किमी से भी कम हैं शहर में साइकिलिंग ट्रैक
- 4 लाख से अधिक रोजाना सड़कों पर पैदल व साइकिल से आवाजाही
इंडियन रोड कांग्रेस ने बतायी ये पांच जरूरतें
सुरक्षित फुटपाथ
अपराध सुरक्षा
निरंतरता
आरामदायक
जीवंतता

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शहर में साइकिलिंग की काफी संभावनाएं हैं। सायकिलिंग व राहगीरों के लिए सड़क पर सुरक्षित जगह बनाने की जरूरत है। इसके लिए काम करना चाहिए। कहीं फुटओवर ब्रिज, अंडरपास और एस्केलेटर होने चाहिए।
अरबाब अहमद, ट्रैफिक एक्सपर्ट



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