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नगर निगम जो काम कर चुका, स्मार्ट सिटी भी वही काम करने पर उतारू


भोपाल। नगर निगम सीमा में रोड सेफ्टी साइनेज, कैंटीलीवर, गेंट्री, केटआई, साइन बोर्ड सहित अन्य काम नगर निगम मौजूदा तकनीक के अनुसार कर चुका है। नगर निगम सीमा की सभी लोकेशन पर यह काम हो चुका है। इसके लिए नगर निगम ने दस साल के लिए एक एजेंसी से अनुबंध भी कर रखा है, लेकिन यही काम स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन भी करेगा। इस विरोधाभास पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। स्मार्ट सिटी ने हाल ही में ५० करोड़ रुपए का टेंडर निकाला है, जिसमें से करीब २६ करोड़ रुपए की लागत से सिर्फ रोड सेफ्टी संबंधी काम होगा।
जबकि नगर निगम सीमा में एेसी कोई जगह नहीं बची जहां गेंट्री, कैंटीलीवर जैसे साइन बोर्ड फिर से लगाए जाएं। स्मार्ट सिटी के टेंडर में न तो लोकेशन दर्शाई गई और न ही दिशा। टेंडर के काम के अनुसार नगर निगम सीमा में यदि स्मार्ट सिटी के टेंडर के अनुसार काम होता है तो करीब ४०० गैंट्री साइन बोर्ड और लगाए जाएंगे। लेकिन यह लगाने के लिए नगरीय सीमा में जगह ही नहीं है।

स्मार्ट सिटी प्रबंधन का तर्क है कि शहर की सीमा बढ़ती है इसके अनुसार काम भी बढ़ेगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह काम करने के लिए नगर निगम ने अन्य एजेंसी के साथ १० साल का अनुबंध पहले ही कर रखा है।
नगरीय सीमा में लोकेशन दर्शाकर करीब ८० फीसदी काम करवाया जा चुका है। अब यही काम स्मार्ट सिटी के मोटे बजट से करवाने की तैयारी की जा रही है। स्मार्ट सिटी प्रबंधन का तर्क है कि यह काम नगर निगम के साथ मिलकर ही करवाया जाएगा।

स्मार्ट सिटी के पास न सडक़, न जगह
गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन, रोड सेफ्टी साइनेज का काम करने के लिए तो तत्पर है, लेकिन कारपोरेशन के पास नगरीय निकाय सीमा में न तो स्वयं की सडक़ें हैं और न ही इन सडक़ों पर साइन बोर्ड आदि लगाने के लिए लोकेशन। शहरी क्षेत्र की सभी सडक़ें नगर निगम, राजधानी परियोजना प्रशासन और लोक निर्माण विभाग के आधिपत्य में है।
वह स्वयं भी इन सडक़ों-मार्गों पर रोड सेफ्टी संबंधी काम करते ही है। नगर निगम अपनी सीमा में आने वाली सभी सडक़ों का कर रहा है। दूसरा तर्क यह दिया जा रहा है कि शहर का विस्तार हो रहा है, इसलिए काम की संभावना भी बनीं ही रहती है। लेकिन नगरीय सीमा सीमित है। कोलार नगर पालिका को नगर निगम से अलग करने के बाद इसकी सीमा और कम हो गई। नगरीय क्षेत्र की सीमा में पहले से ही यह काम पटा पड़ा है।

जो काम करेंगे, नगर निगम के साथ ही मिलकर करेंगे। जहां-जहां काम करना होगा, वहां पहले नगर निगम से पूछेंगे। हमारे पास एक भी सडक़ नहीं है, लेकिन किसी न किसी एजेंसी के साथ मिलकर तो हमें यह काम करना ही होगा।
- संजय कुमार, सीईओ, स्मार्ट सिटी भोपाल


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