पद्मश्री अवॉर्ड से पहले जांच करने आए ऑफिसर्स ने पूछा आप क्या करते हैं

भोपाल। साईंबाबा स्टूडियो की पहल 'आर्टिस्ट 440' और सारेगामा म्यूजिक एकेडमी की ओर से बीएसएनएल प्रेजेंट 'द लीजेंड्स' के तहत बनारस घराने की शास्त्रीय गायिका व ठुमरी क्वीन के नाम से मशहूर पद्म विभूषण गिरिजा देवी को देश भर में संगीतमयी श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस अवसर पर रवीन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर होने वाले कार्यक्रम में उप शास्त्रीय गायक राशिद खान भी प्रस्तुति देने आ रहे हैं। राशिद ने पत्रिका प्लस से विशेष बातचीत में लाइफ जर्नी पर बात करते हुए पद्मश्री अवॉर्ड का एक वाकया शेयर किया। उन्होंने बताया कि 2006 में मिले पद्म श्री के लिए नॉमिनेशन हुआ। एक दिन मेरी घर जिला प्रशासन के अधिकारी पहुंचे और पूछने लगे कि आप करते क्या हैं। यह सुनकर मैं चौंक गया, मैंने उनसे पूछा कि आप यहां आए क्यों हैं। वे बोले आपको पद्मश्री मिलने वाला है, मैंने तपाक से कहा जिसे देश का इतना बड़ा सम्मान मिलने वाला है, उसके बारे में ही आप जानते। वे चूपचाप हो गए। राशिद को संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड और मध्यप्रदेश सरकार से 2002-03 में कुमार गंधर्व अवॉर्ड मिल चुका है।
उन्होंने कहा कि गजेन्द्र सिंह का यह कार्यक्रम मेरे दिल से जुड़ा हुआ है, क्योंकि मैं गिरिजा देवी को देखते-सुनते हुए बड़ा हुआ। मैं उन्हेंं अपनी मां मानता हूं। एक बार इंदौर में उनके साथ कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला। वे इतनी सरल और सहज थीं कि हर कोई उनका मुरीद हो जाता था। उनके आगे गाना गानें का सौभाग्य मिलना मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी थी। शास्त्रीय संगीत की तालिम नाना उत्साद नीसार हुसैन खां से लेने वाले राशिद रामपुर-सहसवान घराने से ताल्लुक रखते हैं।
कड़े संघर्ष से मिलती है सफलता
राशिद का कहना है कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष किया। भूखे रहने तक की नौबत आ गई। सीखने के जज्बे ने कभी गायन से दूर होने का ख्याल भी नहीं आने दिया। आज युवा कलाकार सोचते हैं कि वे आज रियाज करना शुरू करेंगे और कल स्टेज पर परफॉर्मेंस देने लगेंगे। स्टेज तक पहुंचने के लिए सालों तक मेहनत करना पड़ती है। यदि ईश्वर की भक्ति मानकर रियाज नहीं किया तो करियर बनने से पहले ही खत्म हो जाएगा। यंगस्टर्स को लंबी रेस का घोड़ा बनना चाहिए।
फ्यजून से यंगस्टर्स शास्त्रीय संगीत से जुड़े
शास्त्रीय संगीत के साथ हो रहे फ्यूजन के सवाल पर उन्होंने कहा कि फ्यूजन ने यंगस्टर्स को शास्त्रीय संगीत से जोडऩे का काम किया है। जब हम शो करते हैं तो कई बार यंगस्टर्स कहते हैं कि आप क्या राग गा रहे हैं हमें समझ नहीं आ रहा। फ्यूजन के जरिए वे इसे समझ पाते हैं। मैं फ्यूजन को एक सेतु की तरह जोडऩे का माध्यम मानता हू्ं। फिल्मी गानें और गानें भी शास्त्रीय संगीत की रागों पर ही बेस्ड है।
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