7 दिन से भटक रही मां, बच्चों से मिलने का बोला तो बाल कल्याण समिति ने दी FIR की धमकी

भोपाल/ बैतूल निवासी मां, अपने 4 साल के बेटे और 6 साल की बेटी को लेने के लिए एक सप्ताह से भोपाल बाल कल्याण समिति व महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों के चक्कर काट रही। लेकिन उसे बच्चों से मिलवाने और बच्चे वापस करने के बारे में सीडब्ल्यूसी भोपाल ने कोई भी कानूनी राय और जानकारी नहीं दी। उलट बच्चों को लीगल फ्री कर गोद देने की प्रक्रिया के लिए बच्चों को लीगल फ्री (विधि मुक्त) कर लिया गया है।
20 नवंबर को मां प्रतिमा (परिवर्तित नाम) को जब सोशल मीडिया के जरिए जानकारी लगी कि उसके दोनों बच्चों को गोद दिया जा रहा है तो वह तब से ही बच्चों को हालिस करने के लिए दर-दर भटक रही। सोमवार को बाल कल्याण समिति के अधिकारियों के पास जब मां पहुंची तो उसके बयान दर्ज किए गए। बयान के बाद सच-झूठ सामने आया। पता चला कि पति-पत्नी के झगड़ों के कारण प्रतिमा ने जनवरी, 2019 को अपने दोनों बच्चे बाल गृह में छोडऩे के लिए सहेली मोनिका (परिवर्तित नाम) को सौंप दिए।
मोनिका ने भी झूठ का सहारा लेकर भोपाल चाइल्ड लाइन को बताया कि दोनों बच्चे उसे रेलवे स्टेशन से मिले हैं। इसके बाद न तो मां रेशमा बच्चों के पास 10 महीने के हाल-चाल जानने पहुंची और न ही मोनिका। इस बीच बाल कल्याण समिति और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने दोनों बच्चों को 10 महीने के भीतर अगस्त में लीगल फ्री कर दिया गया।
लापरवाही इतनी कि अधिकारियों और चाइल्ड ने बच्चों के बारे में न तो बैतूल के अधिकारियों को जानकारी दी और न ही बच्चों के बताए अनुसार उनके माता-पिता को खोजने का प्रयास किया। यहां तक कि बच्चों को छोडऩे आई मोनिका से तक संपर्क नहीं किया। लीगल फ्री की कार्रवाई के बाद मां प्रतिमा बच्चों को लेने का दावा करने अधिकारियों के पास पहुंची। अधिकारियों ने बयान के बाद कहा कि दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर हवालात में डाल दिया जाएगा।
गलती करने वाले तीन किरदार
1. मां- पति-पत्नी के बीच रोजाना की लड़ाई। पिता ने बेटे को मारने के लिए गैस चूल्हे पर फेंक दिया। पति-पत्नी के विवाद के चलते मां प्रतिमा ने बेटे-बेटी को अपनी सहेली अनामिका को दे दिया। कहा इन्हें कहीं छोड़ आओ। मोनिका ने झूठ का सहारा लिया। दोनों बच्चों को बैतूल से भोपाल लाकर चाइल्ड हेल्प लाइन के हवाले कर दिया। कहा रेलवे स्टेशन से बच्चे मिले।
चाइल्ड लाइन ने बाल कल्याण समिति को बच्चे सौंप दिए। शिशु गृह में छोडऩे के लिए मां प्रतिमा और सहेली मोनिका ने झूठ का सहारा लिया। लेकिन सोचनीय प्रश्न है कि आखिर मां कितनी निर्दयीय हो चुकी कि उसने अपने जिगर के टूकड़ों को बाल गृह में रखने के लिए झूठी कहानी गढ़ी। फिर 10 महीने तक बच्चों की खबर तक नहीं ली।
2. बाल कल्याण समिति, भोपाल- इसके पदाधिकारियों ने बच्चे के माता-पिता अथवा बैतूल बाल कल्याण समिति को बच्चों के बारे में सूचना नहीं दी। बैतूल सीडब्ल्यूसी को महज करीब दो सप्ताह पहले खबर दी गई। इस पर बैतूल सीडब्ल्यूसी ने बच्चों के माता-पिता की तलाशी ली। सबसे बड़ी गलती सीडब्ल्यूसी भोपाल की रही कि वे बच्चों के माता-पिता तक पहुंचे ही नहीं। इसी बीच सीडब्ल्यूसी भोपाल ने दोनों ही मासूमों को लीगल फ्री करवा दिया। यानी जैविक माता-पिता से बच्चों को अलग कर गोद देने तैयारी।
3. महिला बाल विकास- महिला बाल विकास विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों ने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और दोनों ही बच्चों को लीगल फ्री करने की प्रक्रिया में सहयोग किया। अब अधिकारी इस मसले पर किसी भी तरह की बात करने से इंकार कर रहे हैं। महिला बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी विकास त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने हाल ही में ज्वाइन किया है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए टिप्पणी नहीं करुंगा।
सीडब्ल्यूसी भोपाल ने हमें सिर्फ दस दिन पहले सूचना मिली थी। इसके आधार पर हमने पता किया तो बच्चों के मामा सामने आए। उन्होंने कबूल किया कि बच्चे उनके हैं। थाने में भी गुम होने जैसी कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं है।
- प्रशांत मांडवीकर, चैयरपर्सन, सीडब्ल्यूसी, बैतूल
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