केंद्र ने कहा बच्चों को मध्यान्ह भोजन के साथ नाश्ता भी कराएं, प्रदेश सरकार बोली शिक्षक यही करेंगे तो पढाएंगे कब
भोपाल : नई शिक्षा नीति लागू हुई तो स्कूलों में बच्चों को मध्यान्ह भोजन के साथ सुबह का नाश्ता भी मिलेगा। केंद्र सरकार चाहती है कि बच्चों को स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के साथ नाश्ता भी कराया जाए। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रस्ताव में कहा गया है कि शिक्षा का पोषण से गहरा ताल्लुक है। केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में भी इसको शामिल किया है।
केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर प्रदेश सरकार ने असहमति जताई है। दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ हुई बैठक में स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता पर काम किया जा रहा है, यदि मिड डे मील के साथ बच्चों को नाश्ता भी कराया गया तो शिक्षक उनको पढ़ाएंगे कब। बच्चों का अधिकांश समय तो नाश्ता और भोजन में ही चला जाएगा।
केंद्र सरकार का ये है प्रस्तााव :
केंद्र सरकार ने मध्यान्ह भोजन विस्तार कार्ययोजना बनाई है। इस योजना के तहत पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक स्कूल के छात्रों को पौष्टिक नाश्ता और दोपहर का भेाजन दोनों दिया जाए। पौष्टिक नाश्ता में दूध और केला को शामिल किया जा सकता है। यह नाश्ते और भोजन के बीच के समय को अधिक उत्पादक बनाने में मदद करेगा। खासतौर पर गरीब छात्रों के लिए यह बहुत मददगार होगा। भोजन की पौष्टिकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नाश्ते और भोजन पर होने वाले खर्च को महंगाई घटने-बढऩे के हिसाब से तय किया जाएगा। केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर ये कार्यक्रम चला सकते हैं।
आंगनवाड़ी से जुड़ें प्ले स्कूल :
केंद्र सरकार ने कहा है कि प्री नर्सरी और नर्सरी कक्षा को आंगनवाड़ी से जोड़ा जाएगा। यानी बच्चों की शुरुआती पढ़ाई आंगनवाड़ी में कराई जाए। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इसके लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षत किया जाएगा। ३-६ साल तक के बच्चों की पढ़ाई के लिए यह एक बेहतर मॉडल होगा। आंगवाडिय़ों को स्कूली शिक्षा के लिहाज से सारे संसाधनों से लैस किया जाएगा। यह कोशिश की जाएगी कि आंगनवाड़ी प्रारंभिक शिक्षा का बेहतर शैक्षणिक केंद्र बनकर सामने आए। इस बात का ध्यान भी रखा जाएगा कि यहां मां और बच्चे का पहुंचना आसान हो।
इसके अलावा अतिरिक्त क्वालिटी सेंटर का निर्माण भी किया जा सकता है। आगे से यह भी ध्यान रखा जाएगा कि आंगनवाड़ी और प्राथमिक स्कूल एक ही परिसर में स्थापित हो सकें। केंद्र सरकार को लगता है कि इससे बच्चों में पोषण के साथ खेल-खेल में प्रारंभिक शिक्षा की नींव मजबूत हो सकती है। मध्यप्रदेश में यह प्रयोग किया जा चुका है। कई आंगनवाड़ी केंद्रों पर पर बच्चों को प्ले स्कूल और नर्सरी की शिक्षा दी जा रही है।
स्कूल में ही हो पढ़ाई :
राज्य सरकार का मत केंद्र सरकार के मत से अलग है। प्रदेश सरकार का कहना है कि प्री नर्सरी और नर्सरी कक्षाओं शिक्षा का कार्य पूरी तरह स्कूल शिक्षा के माध्यम से किया जाना चाहिए। बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य संबंधी कार्य महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अलग से कर सकते हैं। प्री प्रायमरी स्कूल जहां तक हो सकें प्राथमिक विद्यालय कैंपस में ही स्थापित किए जाने चाहिए। सरकार ने बच्चों की स्वास्थ्य के लिए स्कूलों में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाने की योजना भी बनाई है।
- हम चाहते हैं कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। उनकी नींव मजबूत हो इसके लिए पूर्व प्राथमिकत शिक्षा से ही बेहतर पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है। पढ़ाई का माहौल बच्चों को स्कूल में ही मिल सकता है। जहां तक बच्चों को नाश्ता कराने की बात है तो हम चाहते हैं कि बच्चों को पोषण मिले लेकिन इस बात का ध्यान भी रखा जाना चाहिए कि शिक्षकों को पढ़ाई कराने का पर्यापत समय भी मिले। - डॉ प्रभुराम चौधरी स्कूल शिक्षा मंत्री -
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