कालाबाजारी रोकने 80 फीसदी यूरिया बेचेगी सरकार, शिवराज ने कहा यूरिया दो या गिरफ्तार करो - Web India Live

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कालाबाजारी रोकने 80 फीसदी यूरिया बेचेगी सरकार, शिवराज ने कहा यूरिया दो या गिरफ्तार करो

भोपाल : प्रदेश में यूरिया को लेकर सियासत गरमा गई है। प्रदेश के कई जिलों से यूरिया की किल्लत को लेकर किसानों की परेशानी की खबरें सामने आ रही हैं। इस समय जब किसान को यूरिया की सबसे ज्यादा जरुरत है तभी यूरिया की कम सप्लाई किसान मुश्किल में है।

सरकार ने यूरिया की कालाबाजारी रोकने के लिए नियमों में बदलाव कर दिया है। अभी तक 60 फीसदी यूरिया सहकारी समितियां बेचती थी और 40 फीसदी यूरिया बेचने की अनुमति निजी क्षेत्र को थी। प्रदेश में यूरिया की मांग को देखते हुए सरकार ने ये नियम बदलकर 80-20 का अनुपात कर दिया है। यानी सहकारी समतियां अब 80 फीसदी यूरिया का विक्रय करेंगी जबकि निजी क्षेत्र सिर्फ 20 फीसदी यूरिया ही बेच सकेगा।

सरकार को लगता है कि इससे कालाबाजारी रुकेगी और किसान सीजन पर महंगी दर पर यूरिया खरीदने के लिए मजबूर नहीं होगा। सहकारी समितियों पर किसानों को 260 रुपए की यूरिया की बोरी मिलती है जबकि किसान को व्यापारियों को प्रति बोरी 350 से 400 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। केंद्र ने यूरिया की डिमांड में भी कटौती कर दी है जिससे किसानों को यूरिया मिलने में दिक्कत हो रही है। प्रदेश सरकार ने जितना यूरिया अग्रिम भंडारण किया था वो भी प्रदेश में बांटने के लिए भेज दिया है। अब सरकार ने केंद्र से प्रदेश के हिस्से की राशि के साथ-साथ पर्याप्त यूरिया देने की भी मांग की है।

केंद्र ने की मांग से आधी आपूर्ति :

प्रदेश सरकार ने केंद्र से 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया की डिमांड की। केंद्र सरकार ने 15.40 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मंजूरी दी। अक्टूबर में 4.25 लाख मीट्रिक यूरिया की ऐवज में केंद्र ने सिर्फ 2.98 लाख मीट्रिक टन यूरिया देने की स्वीकृति दी। ये यूरिया एक महीने देरी से यानी नवंबर में प्रदेश में भेजा गया।

नवंबर में 4.50 मीट्रिक टन मांग पर केंद्र सरकार ने 4 लाख मीट्रिक यूरिया की सप्लाई की मंजूरी दी लेकिन इसमें से प्रदेश को सिर्फ 60 हजार मीट्रिक टन यूरिया ही अभी तक मिल पाया है बाकी 40 हजार मीट्रिक टन रेलवे रेक में है जो जल्दी ही मिल जाएगा। इसके बाद बाकी का यूरिया रेलवे रेक के जरिए भेजा जाएगा। दिसंबर में 4.25 लाख मीट्रिक टन की स्वीकृति दी गई है। जनवरी में 1.50 मीट्रिक टन यूरिया की सप्लाई अपेक्षित है।

अनुमान 18 का जरुरत 20 लाख मीट्रिक टन :

सरकार के हिसाब से 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया की डिमांड है जबकि हकीकत में प्रदेश में 20 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरुरत है। कृषि विशेषज्ञ केदार सिरोही कहते हैं कि सरकार प्रति एकड़ 1 से 1.5 बोरी प्रति एकड़ यानी 70 किलो यूरिया की आवश्यकता के हिसाब से इस्टीमेट बनाती है जबकि किसान को एक एकड़ में 2 बोरी यानी 90 किलो यूरिया लगता है। सरकार की डिमांड के हिसाब से 18 लाख मीट्रिक टन होता है जबकि आवश्यकता 20 लाख मीट्रिक टन की होती है। भारी बारिश के कारण रबी के सीजन की बुआई देरी से हो रही है और इस बार किसान पानी पर्याप्त होने के कारण फसल में ज्यादा यूरिया डालना चाहता है। अतिवृष्टि के कारण ही किसान अपने पास खाद का अग्रिम भंडारण भी नहीं कर पाया।

कॉल सेंटर में पहुंच रहे लंबी कतारों के कॉल :

सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए कॉल सेंटर बनाया है। इसमें दो दिन में 200 कॉल पहुंच चुके हैं। इससे ज्यादा लोगों ने कॉल कर यूरिया की स्थिति जानने की कोशिश की। ज्यादातर लोगों की शिकायत यही है कि उनको कतार लगाकर यूरिया लेना पड़ रहा है।

किसानों ने कालाबाजारी के कारण दोगुनी कीमत पर यूरिया मिलने की शिकायत भी की जिस पर सरकार ने सभी कलेक्टरों को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। किसान ये भी जानना चाहते हैं कि उनके जिले में यूरिया की आपूर्ति कब होगी। शिकायत कक्ष का नंबर 0755-2558823 है जहां सुबह 10 बजे से शाम 5.30 तक यूरिया से संबंधित शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं।

भाजपा ने कहा यूरिया की कमी से किसान हलाकान :

भाजपा ने यूरिया की किल्लत को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यूरिया के किसानों के साथ आंदोलन करने पर नरयावली विधायक प्रदीप लारिया पर मामला दर्ज करने पर भी भाजपा नेताओं ने प्रदेश सरकार की आलोचना की है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस सरकार निहायती निकम्मी, अकर्मण्य व नाकारा है। किसानों की आवाज़ उठाने वाले विधायक प्रदीप लारिया पर प्रकरण दर्ज किया गया है जिसका मैं कड़ा विरोध करता हूँ।

उन्होंने कहा कि प्रशासन उन्हें गिरफ़्तार करे, मैं उनके साथ गिरफ्तारी देने आऊँगा। सरकार यूरिया दे या गिरफ्तार करे। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि मुख्यमंत्री दावे कर रहे है कि यूरिया का संकट नही है। किसानों को परेशानी नही है। तो फिर मुख्यमंत्री जी आप बताएं किसानों को यूरिया के बदले लाठियां क्यों मिल रही है। क्यों यूरिया के लिए किसानों की कतारें लग रही है। पुलिसथानों से यूरिया क्यों बांटा जा रहा है।


- यूरिया की कालाबाजारी रोकने के लिए हमने 80 प्रतिशत सहकारी समितियों और 20 प्रतिशत निजी क्षेत्र को बेचने की अनुमति दी है। सरकार की प्राथमिकता में किसान है, प्रदेश के अन्नदाताओं को यूरिया को लेकर चिंता करने की ज़रूरत नही है, आवश्यकता अनुसार यूरिया उपलब्ध कराने के लिए सरकार कटिबद्ध है। प्रदेश में आने वाले 8 दिनों में 49 रेक में लगभग 1 लाख 60 हज़ार मीट्रिक टन यूरिया विभिन्न जिलों में प्रदाय किया जाएगा। जिसकी मॉनीटरिंग मैं खुद करुंगा। - सचिन यादव कृषि मंत्री,मप्र -



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