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472 मरीजों को नहीं था कोरोना, फिर भी आ गए फंगस की चपेट में

भोपाल. कोरोना वायरस के कहर से निकलने के बाद कई मरीज म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। प्रदेश में 1314 मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें से 472 मरीज ऐसे हैं, जिनकी कोबिड हिस्ट्री नहीं थी फिर भी वे ब्लैक फंगस से पीड़ित हो गए। विशेषज्ञों का कहना है कि करीब 25 फीसदी मरीजों में कोबिड रिपोर्ट नेगेटिव होती है या टेस्ट नहीं होते, लेकिन लक्षण जरूर होते हैं। ऐसे में उन्हें म्यूकोर संक्रमण हो सकता है।

 

तीन बच्चे भी चपेट में
कुल मरीजों में से 43.7% यानी 577 मरीज 45 से 60 वर्ष आयु वर्ग के हैं। 18 से 45 आयु वर्ग के 476 मरीज हैं। 60 वर्ष से अधिक उम्र के 258 म्यूकोर मरीज मिले हैं। अब तक तीन ऐसे बच्चे भी ब्लैक फंगस की जद में आए हैं, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है।

 

किस तरह के मरीज
अभीतक कुल 1314 मरीज मिल चुके हैं जिनमें से 1152 का इलाज चल रह है, जबकि 114 स्वस्थ हो चुके है और 48 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें क्यूटेनिया (त्वचा संबंधी) मरीजों की संख्या 74, राइनोसेरेब्रल (नाक, दिमाग) मरीजों की संख्या 441, पल्मोनरी (फेफड़े संबंधी) मरीजों की संख्या 436,गेस्ट्रो (पेट संबंधी) मरीजों की संख्या 25, डिस्मेंटेड (फैला हुआ) मरीजों की संख्या 41 और अनकॉमन प्रेजेंटेशन मरीजों की संख्या 325 मिले हैं।

 

हमीदिया में 25 की कोविड हिस्ट्री नहीं मिली
जीएमसी भोपाल के नाक-कान-गला विशेषज्ञ डॉ. यशवीर जेके ने बताया, उनके विभाग में 123 मरीजों में से 25 की कन्फर्म कोविड हिस्ट्री नहीं थी। हालांकि उन्हें कोविड के पूरे लक्षण थे। इन मरीजों ने लक्षण आने के बाद कोविड की दवाएं भी लीं।



शोध करना पड़ेगा आखिर क्यों हुई बीमारी
कयुनिटी मेडिसिन विभाग विभागाध्यक्ष, डॉ डीके पाल ने बताया कि हमीदिया अस्पताल में 123 मरीजों में करीब 25 ऐसे थे, जिनकी कोविड हिस्ट्री नहीं थी। उनसे बात की तो पता लगा कि लक्षण थे। ऑक्सीजन दी जाती रही है। सालों से स्टेरॉयड का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में अब ही क्यों के मामले बढ़ने लगे। यह कही ना कहीं कोराना वायरस का असर हो सकता है। इसके लिए गहन शोध की जरूरत है।



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