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भूजल दूषित होने से रोकें, वेस्ट प्रबंधन के नियम बनें

भोपाल. एनजीटी ने भानपुर खंती के आसपास भूजल दूषित होने से रोकने के लिए समुचित उपाय और इसकी सतत निगरानी के निर्देश दिए हैं। खंती का साइंटिफिक क्लोजर सावधानीपूर्वक पूरा किया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण की दृष्टि से भविष्य में कोई परेशानी नहीं हो। ट्रिब्यूनल ने इस केस के माध्यम से पर्यावरण संबंधी सभी नियम-कानूनों के पालन कराने के संबंध में भी निर्देश दिए हैं। एनजीटी ने कहा है कि सॉलिड वेस्ट, बायोमेडिकल वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, निर्माण वेस्ट के प्रबंधन के लिए कानून बने हैं। इनका एक्शन प्लान तैयार है अधिकारियों को अब इसे उचित तरीके से लागू करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी स्टेट लेवल मॉनीटरिंग कमेटी को भी फिर से सक्रिय होना चाहिए। नियमित रूप से पर्यावरणीय कानूनों के क्रियान्वयन की मॉनीटरिंग हो और गड़बड़ी पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई और उपचारात्मक उपाय हों।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल जोन बेंच ने डॉ सुभाष सी पांडे की भानपुर खंती के संबंध में लगाई गई याचिका का यह निर्देश देते हुए निराकरण कर दिया।

अवैध भूजल दोहन पर वसूल करें हर्जाना
सीपीसीबी द्वारा प्रिंसिपल बेंच को दी गई गाइडलाइन में भूजल की दृष्टि से ओवर एक्सप्लॉइटेड, क्रिटिकल और सेमीक्रिटिकल क्षेत्रों में जल संरक्षण फीस लगाने, बोर वेल का रजिस्ट्रेशन करने, ट्रीटेड सीवेज वाटर का उपयोग करने, फसलों और सिंचाई का पेटर्न बदलने जैसी कई सिफारिशें की थीं। इन्हें भी राज्यों को परिस्थितियों के अनुसार लागू करना चाहिए। इसके साथ अवैध रूप से भूजल दोहन और पर्यावरणीय कानूनों का पालन नहीं होने पर पर हर्जाना लगाना चाहिए।



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