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7 सीटों पर नए चेहरों में जंग की तैयारी, अब पहले चरण से सबक लेकर बिछेगी दूसरे की बिसात

भोपाल। MP में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के बाद दूसरा चरण नए चेहरों की जंग के नाम रहेगा। 6 मई को प्रदेश की सात संसदीय सीटों पर मतदान होगा। इन सातों सीटों पर इस बार भाजपा के वरिष्ठ नेता कांग्रेस के नए चेहरों चुनौती दे रहे हैं। दोनों पार्टियां पहले चरण से सबक लेकर दूसरे चरण की तैयारी करेंगी। इसमें बूथ प्रबंधन से लेकर प्रचार तक शामिल रहेगा।


पार्टियों को जिन लोकसभा सीटों पर भितरघात का खतरा है, वहां के लिए विशेष तैयारी की जाएगी। पहला चरण पूरा हो जाने से वहां के दिग्गज नेता भी अब रणनीति के लिए पूरी तरह फोकस कर पाएंगे।

वहीं, प्रदेश में पहले चरण तक देश के चार चरणों के चुनाव पूरे हो गए हैं, इसलिए दोनों प्रमुख पार्टियों के राष्ट्रीय नेता भी मध्यप्रदेश के लिए ज्यादा समय निकाल पाएंगे। अभी ये सातों संसदीय सीटें भाजपा के पास हैं। देखना दिलचस्प होगा कि दूसरे चरण के बाद यहां क्या हालात रहेंगे।

1. टीकमगढ़ : अनुभवी व नए चेहरे की जंग
यहां केंद्रीय मंत्री व भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र खटीक और कांग्रेस के नए चेहरे किरण अहिरवार आमने-सामने हैं। सहज व्यक्तित्व की छवि लेकर वीरेंद्र प्रचार में जुटे हैं, जबकि किरण का टिकट दिग्विजय सिंह के खेमे का है। ऐसे में सिंह समर्थकों की पूरी टीम किरण के साथ है।

 

2. दमोह : 1989 से अंगद बनी भाजपा
1989 से यह सीट भाजपा के पास है। प्रहलाद पटेल यहां से दूसरी बार मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस ने प्रताप सिंह लोधी को उतारकर फिर नए चेहरे का दांव खेला है। यहां जीत की चाह में कांग्रेस बार-बार चेहरे बदल रही है, लेकिन उसके लिए भाजपा का किला भेद पाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है।

3. खजुराहो : संघ बनाम रियासती रसूख
कभी उमा भारती की सीट रही खजुराहो में अब नए चेहरे मैदान में हैं। खजुराहो में भाजपा प्रत्याशी वीडी शर्मा को स्थानीय नेता बाहरी बताकर विरोध कर रहे हैं पर संघ साथ है। कांग्रेस प्रत्याशी कविता सिंह विधायक विक्रम सिंह नातीराजा की पत्नी हैं। यहां नातीराजा की रियासत की धमक है।

 

4. सतना : जातिकार्ड का खुलकर प्रयोग
यहां मौजूदा भाजपा सांसद गणेश सिंह व कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी आमने-सामने हैं। ब्राह्मण बनाम पटेल वोटबैंक की प्रतिद्वंदता यहां सीधे तौर पर है। पिछली बार यहां अजय सिंह हार गए थे। इस बार वे सीधी सीट से मैदान में हैं।

5. रीवा : नेताओं का रसूख कारगर
रीवा में मौजूदा भाजपा सांसद जर्नादन मिश्रा और सुंदरलाल तिवारी के बेटे कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ तिवारी के बीच सियासी जंग है। यहां दलों से ज्यादा नेता की हुकूमत चलती है। इस बार जर्नादन के सामने कांग्रेस ने सुंदरलाल तिवारी के निधन के बाद सिद्धार्थ को उतारकर सिम्पैथी कार्ड खेला है।

 

6. होशंगाबाद : राव बनाम नया चेहरा
2009 को छोड़कर 1989 से यहां भाजपा का कब्जा है। 2009 में राव उदय प्रताप सिंह कांग्रेस से सांसद थे। 2014 में भाजपा से जीते। इस बार मुकाबला राव और कांग्रेस प्रत्याशी शैलेंद्र दीवान के बीच है। कांग्रेस ने सुरेश पचौरी, सरताज सिंह जैसे दावेदारों को छोड़कर शैलेंद्र को उतारा है।

7. बैतूल : चेहरा बदलने का दांव
भाजपा ने ज्योति धुर्वे का टिकट काट दुर्गादास उइके को उतारा है। आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले दुर्गादास हाल ही में भाजपा में आए हैं। उनके सामने कांग्रेस ने आदिवासियों की राजनीति करने वाले रामू टेकाम को उतारा है। 1996 से यहां भाजपा काबिज है। कांग्रेस ने तब से हर बार चेहरे बदले।

 

बसपा का वजूद
प्रदेश में दूसरे चरण के चुनाव में सात में से दो सीटों पर बसपा प्रभावी है। इनमें रीवा और सतना शामिल हैं। दोनों ही जगह बसपा पहले भी काबिज रह चुकी है। इसलिए इस बार पूरी जोर-आजमाइश की जा रही है।



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