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गणित और विज्ञान में घटी छात्रों की रुचि, आर्ट पढ़ने वालों की संख्या में इजाफा


भोपाल : बदलते वक्त के साथ प्रदेश की उच्च शिक्षा का ट्रेंड भी बदल गया है। डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले युवा लगातार कम हो रहे हैं। युवाओं की रुचि अब गणित और विज्ञान विषयों में घटती जा रही है जबकि आर्ट पढऩे वाले छात्र लगातार बढ़ रहे हैं। बीएससी की जगह युवा बीए पास होना चाहते हैं। पिछले पांच सालों का कॉलेजों का रिकॉर्ड कुछ यही बता रहा है। इसमें रोचक बात एक और सामने आई है।
युवा ग्रेजुएट होकर पोस्ट ग्रेजुएशन नहीं करना चाहते। 75 फीसदी से ज्यादा स्नातक छात्र स्नात्कोत्तर यानी एमए या एमएससी नहीं कर रहे। सिर्फ 25 फीसदी छात्र ऐसे हैं जो परंपरागत पढ़ाई यानी बीए,बीएससी के बाद एमए या एमएससी करते हैं। कॉलेज की पढ़ाई के इस बदले ट्रेंड के पीछे का कारण सामने आ रहा है कि अब छात्र शिक्षा के पुराने ढर्रे को छोड़कर रोजगारपरक पढ़ाई की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। वे पढ़ाई करने के बाद बेरोजगार होना नहीं चाहते बल्कि पढ़ाई के साथ ही नौकरी में लग जाना चाहते हैं।

ये है पिछले सालों का रिकॉर्ड :
- साल 2015 में स्नातक और स्नात्कोत्तर के छात्र मिलाकर आटर््स में 135970 छात्रों ने एडमिशन लिया। कॉमर्स में 107574 छात्रों ने और विज्ञान संकाय में 160052 छात्रों ने एडमिशन लिया। यहां विज्ञान संकाय के छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा थी।
- साल 2016 से आट्र्स के छात्रों की संख्या बढऩे लगी और विज्ञान के छात्रों की संख्या कम होने लगी। इस साल आटर््स में 163256 छात्रों ने एडमिशन लिया जबकि विज्ञान संकाय के छात्रों की संख्या कम होकर 147853 हो गई। कॉमर्स में 111325 छात्रों ने एडमिशन लिया।
- साल 2017 में आटर््स में 169023 छात्रों ने जबकि साइंस में 143470 छात्रों ने प्रवेश लिया। कॉमर्स के छात्रों की संख्या 81827 रही।
- साल 2018 में आटर््स संकाय में छात्रों की संख्या बढ़कर 204889 पर पहुंच गई जबकि विज्ञान संकाय के छात्र कम होकर 139608 पर पहुंच गए। कॉमर्स संकाय के छात्रों की संख्या 81827 रही।
- साल 2019 में आट्र्स के छात्र 230953 हैं जबकि इसके मुकाबले गणित और जीवविज्ञान के छात्रों की संख्या 148629 है। ये पिछले साल के मुकाबले थोड़ी बढ़ी जरुर है लेकिन आटर््स से बहुत पीछे है। कॉमर्स के छात्रों की संख्या 139868 है।

25 फीसदी छात्र भी नहीं करते स्नात्कोत्तर :
यदि हम इन सालों का स्नातक और स्नात्कोत्तर का रिकॉर्ड देखें तो इसमें बड़ा अंतर समझ में आता है। विज्ञान,आटर््स,कॉमर्स,होम साइंस और लॉ के छात्रों के ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के आंकड़े में 75 फीसदी से ज्यादा का अंतर है।
- साल 2015 में स्नातक के छात्रों की संख्या 143147 थी जबकि स्नात्कोत्तर में सिर्फ 16105 छात्रों ने प्रवेश लिया। जो महज 12 फीसदी के करीब है।
- साल2016 में स्नातक के छात्रों की संख्या 358534 थी जबकि स्नात्कोत्तर में सिर्फ 73124 छात्रों ने एडमिशन लिया।
- साल 2017 में स्नातक स्तर के छात्र 359981 थे जबकि स्नात्कोत्तर में ये घटकर 70291 हो गए।
- साल 2018 में ग्रेजुएट छात्रों की संख्या 355569 थी जो पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में कम होकर 81251 हो गई।
- साल 2019 में स्नातक छात्रों की संख्या 437462 है जबकि स्नात्कोत्तर छात्रों की संख्या 97875 है।

अब डिग्री नहीं रोजगार पर फोकस :
स्वामी विवेकानंद कॅरियर गाइडेंस स्कीम के डायरेक्टर प्रोफेसर आदित्य लुनावत कहते हैं कि अब छात्रों की मानसिकता सिर्फ डिग्री हासिल करने की नहीं रही वे अब रोजगार भी चाहते हैं। कुछ साल पहले तक छात्र अपना पुश्तैनी धंधा करते थे और पढ़ाई सिर्फ डिग्री के लिए होती थी। अब छात्र ग्रेजुएट करने के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयार में जुटे रहते हैं,इसलिए वे आसान विषय आर्ट चुन रहे हैं। स्नातक पूरा कर वे नौकरी पाने की कोशिश में जुटे रहते हैं इसलिए उनको स्नात्कोत्तर पढ़ाई की आवश्यकता नहीं होती। इसमें लड़कियों की संख्या ज्यादा है क्योंकि वे ग्रेजुएट कर शिक्षक बनना पसंद करती है।
- उच्चशिक्षा का ट्रेंड बदल रहा है। हमारी कोशिश भी है कि युवा परंपरागत पढ़ाई की जगह रोजगारपरक पढ़ाई करे। स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दे। यही कारण है कि आज का युवा पढ़ाई पूरी कर हाथ में नौकरी चाहता है।
- जीतू पटवारी उच्चशिक्षा मंत्री -
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