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बनेगी स्टेट रोड पॉलिसी, सड़क खोदी तो लगेगा तगड़ा जुर्माना

भोपाल। कमलनाथ सरकार राज्य में स्टेट रोड पॉलिसी लागू करेगी। इसके तहत यह पहले से तय रहेगा कि कौन सा विभाग कहां कि सड़कें बनाएगा। इसके अलावा सड़क खोदने पर भारी-भरकम जुर्माना भी लगाने का प्रावधान होगा। खास ये कि इसमें प्लानर से लेकर नुकसान पहुंचाने वाली एजेंसी तक की जवाबदेही तय होगी। अभी तक एेसी कोई नीति नहीं थी, बल्कि केवल नियमावली से काम चलाया जाता है। लेकिन, अब नई नीति में नेशनल हाइवे से लेकर गांव और कॉलोनी तक की सड़क के लिए जवाबदेही तय रहेगी। इसमें सालाना ऑडिट का सिस्टम भी लागू होगा, ताकि सड़कें चाक-चौबंद रह सके।

ऐसे तय होगी एजेंसी-

सड़क की नीति में यह तय कर दिया जाएगा कि कहां कि सड़क कौन बनाएगा। इसके निर्धारित मापदंड और नियम रहेंगे। उसी आधार पर सड़क ठेकेदार और विभागों की जिम्मेदारी तय होगी। इसमें हर साल ऑडिट का सिस्टम भी आएगा।
१. दस किमी तक की सड़क ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण बनाएगा। इससे ज्यादा लंबी सड़क लोक निर्माण विभाग बनाएगा। साथ ही शहरी क्षेत्र के लिए बड़ी सड़के और भू-अर्जन वाली सभी प्रकार की सड़कें बनाएगा। इसमें पुल-पुलिया शामिल रहेंगे। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी नेशनल हाईवे ओरिजनल की सड़कें भी बनाएगा।

२. एमपीआरडीसी के पास स्टेट हाई-वे और टोल वाली नेशनल हाइवे की सड़कों का जिम्मा रहेगा। स्टेट हाइवे मरम्मत का काम भी एमपीआरडीसी के पास ही रहेगा। नेशनल हाईवे को नेशनल हाईवे अॅथारिटी बनाएगी। इसकी मरम्मत भी उसके जिम्मे रहेगी।
३. शहरों के लिए फिलहाल लोक निर्माण विभाग, नगर-निगम और भोपाल में सीपीए की जिम्मेदारी यथावत रहेगी, लेकिन इसमें सड़क के नए मापदंड तय होंगे। तीनों ही एजेंसी के जिम्मे मरम्मत का काम भी रहेगा। इसमें सड़क डेमेज होने पर जुर्माने के प्रावधान भी लागू होंगे।

यूं सख्त होंगे नियम, लगेगा जुर्माना-

इसके अलावा सड़कों को केबल, ड्रेनज और बिजली पोल के लिए खोदने की समस्या भी बहुत ज्यादा है। इसमें सरकारी महकमे तक नई सड़क को खोद देते हैं। अब एेसा नहीं हो सकेगा। सड़क निर्माण के समय ही भविष्य के लिए केबल वायर, पोल और ड्रेनेज की व्यवस्था प्लान के हिसाब से करना होगी। यदि कही पर इसके बाद नई सड़क को निर्धारित समयावधि में खोदा जाता है, तो उसके लिए भारी जुर्माना लगाया जाएगा। अभी नगर निगम के पास जुर्माने लगाने के अधिकार है, लेकिन यह बेहद मामूली होता है। इस नियम का क्रियान्वयन भी नहीं होता है, लेकिन नई नीति में इसे लेकर सख्त नियम लाए जा रहे हैं। साथ ही जुर्माना भारी-भरकम रहेगा, ताकि पब्लिक प्रॉपटी के तौर पर सड़क सुरक्षित रहे। इसके लिए सड़क प्लानर से लेकर खोदने वाली एजेंसी तक पर कार्रवाई का प्रावधान रहेगा। इसमें सरकारी व निजी एजेंसी और व्यक्ति की श्रेणियां भी रखी जाएंगी।

हर क्षेत्र की सड़क का अलग नियम-

सड़क निर्माण के लिए निर्धारित स्टेण्डर्ड को भी अपग्रेड किया जाएगा। इसमें सड़क की मोटाई-चौड़ाई से लेकर ड्रेनज, वॉटर-फ्लो, ग्राउंड वॉटर सहित अन्य मापदंडों को सख्त किया जाएगा। खास बात ये कि इसमें निरीक्षण के दौरान कोई कोताही पाई जाने पर स्पॉट फाइन का सिस्टम भी लागू किया जाएगा। रोड सेफ्टी रूल्स को भी अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। इसमें गड़बड़ होने पर रोड डिजाइनर-प्लानर से लेकर निर्माण एजेंसी तक पर कार्रवाई के प्रावधान होंगे। इसके साथ ही रेंडम जांच का सिस्टम भी पॉलिसी में दिया जाएगा।


रूकेगी ऐसी गड़बड़ : एक रोड कई विभागों ने बनाई-

नई रोड पॉलिसी में हर एजेंसी की जवाबदेही तय होगी। इसलिए पूर्व में जिस प्रकार की गड़बड़ी हुई, उसकी आशंका कम हो जाएगी। सीएजी ने २०१६-१७ में एक ही रोड के दो एजेंसियों के बनाने की गड़बड़ी आपत्ति उठाई थी। तब, पर्यटन विभाग और लोक निर्माण विभाग के एक ही रोड के निर्माण भुगतान के बिल सामने आए थे। इसके अलावा जवाबदेही तय होने से मरम्मत के खर्च को लेकर भी नियंत्रण होगा।

इसलिए पड़ी जरूरत-

दरअसल, सड़कों पर बीते सालों में करोड़ों खर्च किए गए, लेकिन सड़कों की परफार्मेंस उतनी अच्छी नहीं पाई गई है। यहां तक कि मरम्मत को लेकर भी ठीक हालात नहीं है। उस पर लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, ग्रामीण सड़क प्राधिकरण, पर्यटन विभाग सहित अनेक एजेंसियां सड़कों का निर्माण करती हैं। इसलिए सड़कों को लेकर यह असमंजस रहती है कि कौन सी सड़क किस विभाग ने बनाई। इसके लिए सरकार ने हर सड़क पर निर्माण एजेंसी का बोर्ड लगाना भी अनिवार्य किया, लेकिन उसका भी कारगर परिणाम सामने नहीं आया। इसलिए अब सड़कों को लेकर सरकार ने नीति बनाना तय किया है।

ये और बड़ा कदम : नेशनल हाई-वे बनाने की तैयारी-

दूसरी ओर कमलनाथ सरकार प्रदेश की सरहद वाले नेशनल हाइवे को भी खुद ही बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए केंद्रीय मंत्रालय को प्रस्ताव दिया जा रहा है, लेकिन अभी इस पर प्लान नहंी बना है। जो नेशनल हाईवे अभी केंद्र सरकार के अधीन आते हैं, वहां पर मरम्मत व निर्माण की पेचीदगियां हैं। केंद्रीय मंत्रालय इस पर काम नहीं करता, जिससे प्रदेश सरकार को उसका खामियाजा उठाना पड़ता है। अब सरकार की कोशिश है कि पूरे नेशनल हाई-वे ही उसे दे दिए जाए। यदि नेशनल हाई-वे राज्य सरकार को मिल जाते हैं, तो इन्हें पीपीपी मोड पर बनाया जाएगा।

इनका कहना-

पिछली भाजपा सरकार ने सड़कों के नाम पर केवल भ्रष्टाचार करने का काम किया। भाजपा ने ठेकेदारों के लिए ही काम किया और उनके हिसाब से काम किया। इसीलिए सड़क नीति पर नहीं सोचा। हम राज्य की सड़क नीति तैयार कर रहे हैं, जिसके चलते हर एजेंसी की जवाबदेही तय होगी। सड़कों को नुकसान पहुंचाने वालों की भी जवाबदेही तय होगी। - सज्जन सिंह वर्मा, मंत्री, लोक निर्माण विभाग, मप्र

 

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