मध्यप्रदेश में हुआ था भगवान परशुराम का जन्म, जानिए उनसे जुड़ी रोचक बातें
परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। कहा जाता है इनके क्रोध की कोई सीमा नहीं थी, इसलिए इन्हें आवेशावतार भी कहा जाता है। भगवान परशुराम जयंती वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन मनाई जाती है क्योंकि इसी दिन भगवान परशुराम अवतरित हुए थे। परशुराम जयंती के दिन देशभर के कई हिस्सों में सर्वब्राह्मण का जुलूस, सत्संग आदि आयोजित होते हैं। वीरता के साक्षात उदाहरण भगवान परशुराम पृथ्वी पर त्रेता युग औऱ द्वापर युग से अमर हैं। भगवान परशुराम की रामायण से लेकर महाभारत तक बहुत ही अहम भूमिका रही है। आइए जानते हैं इनके बारे में कुछ खास बातें....
जमदग्नि और रेणुका के पांचवे पुत्र थे परशुराम
जमदग्नि की पत्नी बनी प्रसेनजित की कन्या रेणुका। रेणुका व जमदग्नि के पांच पुत्र हुए इनमें पांचवे पुत्र थे भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम प्रहर में उच्च के ग्रहों से युक्त मिथुन राशि पर राहु के स्थित रहते माता रेणुका के गर्भ से भगवान परशुराम का प्रादुर्भाव हुआ था। अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम का जन्म माना जाता है। इस तिथि को प्रदोष व्यापिनी रूप में ग्रहण करना चाहिए। इस साल परशुराम जयंती 7 मई 2019, मंगलवार को मनाई जाएगी।
रामभद्र राम से कैसे बने परशुराम
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, परशुराम के जन्म का नाम राम माना जाता है। लेकिन कुछ जगहों पर रामभद्र, भार्गव, भृगुपति, जमदग्न्य, भृगुवंशी आदि नामों से भी जाना जाता है। मान्यता है कि पापियों के संहार के लिये इन्होंने भगवान शिव की कड़ी तपस्या की थी और भगवान शिव से परशुराम जी ने युद्ध कला में निपुणता के गुर वरदान स्वरूप पाये थे। भगवान शिव से उन्हें कई अद्वितीय शस्त्र भी प्राप्त हुए इन्हीं में से एक था भगवान शिव का परशु जिसे फरसा या कुल्हाड़ी भी कहते हैं। यह इन्हें बहुत प्रिय था व इसे हमेशा साथ रखते थे। परशु धारण करने के कारण ही इन्हें परशुराम कहा गया।
मध्यप्रदेश में हुआ था भगवान परशुराम का जन्म
एक अन्य किंवदंती के अनुसार मध्यप्रदेश के इंदौर के पास स्थित महू से कुछ ही दूरी पर स्थित है जानापाव की पहाड़ी पर भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। यहां पर परशुराम के पिता ऋर्षि जमदग्नि का आश्रम था। कहते हैं कि प्रचीन काल में इंदौर के पास ही मुंडी गांव में स्थित रेणुका पर्वत पर माता रेणुका रहती थीं।
पवित्र तीर्थ जानापाव से दो दिशा में नदियां बहतीं हैं। यह नदियां चंबल में होती हुईं यमुना और गंगा से मिलती हैं और बंगाल की खाड़ी में जाता है। कारम में होता हुआ नदियों का पानी नर्मदा में मिलता है। यहां 7 नदियां चोरल, मोरल, कारम, अजनार, गंभीर, चंबल और उतेड़िया नदी मिलती हैं। हर साल यहां कार्तिक और क्वांर के माह में मेला लगता है।
पवित्र तीर्थ जानापाव से दो दिशा में नदियां बहतीं हैं। यह नदियां चंबल में होती हुईं यमुना और गंगा से मिलती हैं और बंगाल की खाड़ी में जाता है। कारम में होता हुआ नदियों का पानी नर्मदा में मिलता है। यहां 7 नदियां चोरल, मोरल, कारम, अजनार, गंभीर, चंबल और उतेड़िया नदी मिलती हैं। हर साल यहां कार्तिक और क्वांर के माह में मेला लगता है।
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